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पपीता

पपीता फलों में जाना पहचाना नाम है। यह बहुत फायदेमंद फल है। इसके पत्तों का उपयोग डेंगू में फायदा करता है। पपीता मेडिसिनल पौधे में आता है।
यह बहुत आसानी से लगाया जा सकता है। आप पके पपीते के बीज से नया पौधे तैयार कर सकते हैं।
आइए कुछ जानकारी लेते हैं -
(१) बीज - बीज से पौधा बना सकते हैं। पौधे ६-७ महीने में फल देने लायक हो जाते हैं।
(२) मिट्टी - अच्छी मिट्टी जिसमें कम्पोस्ट मिली हो । मिट्टी की P H ५.५ से ७ रखें।
(३) पानी - पपीता को पानी अथिक चाहिए लेकिन रुकनी नहीं चाहिए।
(४) सूर्य - पपीता को जहां अच्छी धूप आती हो लगाए।
(५) कैसे लगाए -पौट में लगानी हो पौट कम से कम सोलह इंच की रखें। जमीन में पौधे से पौधे की दूरी कम से कम आठ से दस फीट रखें।
(६) पपीता में नर मादा पौधे अलग होते है । तीन से पांच मादा पौधों में एक नर पौधा होना अनिवार्य है।
अभी बाजार में ऐसे पौधे भी आ गए हैं जिनमें नर मादा दोनों एक पौधे में होते हैं। जिसे बाईसेक्सुअल कहते हैं। यह सेल्फ पौलिनेटेड होते हैं। गमले में ऐसे पौधे लगाए। गमले में रेड लेडी अच्छी वेराइटी आती है।
(७) उम्र -पौधे में ४-५ साल तक फल अच्छा लगता, फिर पेड़ बहुत बड़ा हो जाता फल छोटे छोटे आते हैं। आप एक दो साल के अंतराल पर नये पौधे लगाए, फल हमेशा मिलते रहेंगे।
(८) उपयोग - सोफ्ट ड्रिंक, जूस, सब्जी, अचार,हलवा, रायता बनते हैं। मांस पकाने में उपयोग करते हैं। पपीता में एन्जाइम प्रोटिन को पचाने का काम करता है। पत्ते की चाय एपेटाईट बढ़ाती है, किडनी और लीवर ठीक रखता है।
प्लेटलेट काउंट बढ़ा देता डेंगू में रामवाण है।
(९) खाद - पपीता को खाद अधिक चाहिए। गोबर खाद, पत्ते की खाद, कम्पोस्ट के अलावा NPK- 14-14-14 / 15-15-15 दें सकते हैं।
(१०) कीट - पपीता में अनेक कीट का प्रकोप होता है। माईट, एफीड, लीफ हौपर, पाउडरी मील डीयू से बचाएं। फंगल के लिए फंगीसाईड Thiooenzol का उपयोग करें।
(११) मल्चिंग - पपीता में मल्चिग भी लाभकारी होता है।
Papaya

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