इंतज़ार कर लो बहार आने तक, धूप से डरकर पौधे, उखारने की जरूरत क्या है? छोड़ना हैं छोड़ दो उसको, सताने की जरूरत क्या है? बहाने पर बहाने बनाने की जरू…
Read moreसूरज सा चमकना है ना कभी अभिमान रखो। डूबते हुए भी ना कभी ग़म का नामोनिशान रखो। बांटों उजाला सभी ओर बराबर सबके साथ समभाव और सदभाव रखना। बात आए जब जीने …
Read moreप्यार मुहब्बत आता नहीं सबके क़रीब हो जाता हूं। मैं तो बस हरेक के दर्द में शामिल मिल हो जाता हूं। दुनिया की नज़रें अकेला छोड़ जाती है। जब साया भी अपना…
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