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Bahane banane ki jarurat Kia hai

इंतज़ार कर लो बहार आने तक,
धूप से डरकर पौधे,
उखारने की जरूरत क्या है?
 
छोड़ना हैं छोड़ दो उसको,
सताने की जरूरत क्या है? 
बहाने पर बहाने बनाने की जरूरत क्या है? 

अजनबी पन दिखाई दे,
आंखों में जिसके फिर।
 उससे हाथ मिलाने की जरूरत क्या है? 

हजारों बैठे हैं जब महफ़िल में,
अपने भी पराए भी।
ऐसे में मुझे बुलाने की जरूरत क्या है?
 
बगैर मेहनत पेट भर,
दिए जाते हो जिसके। 
उसे पसीने बहाने की जरूरत क्या है?

बेटे भी मुंह मोड़ कर चलें जाते हैं,
फिर बेटी को पराया धन।
Betebhimuhmodkarchalejatehai

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