तुम खुद ही समझ भी जाओ (1) शब्द जितने कठोर हो स्वर उतने मधुर बनाओ। गांओ इस तरह जिंदगी के मधुर तुम गीत गाओ। निमंत्रण के इंतजार में क्यों खड़े हो द्वा…
Read moreMohtarma Yahi to Muhabbat hai ऐ ख़ातून, एक बार 🤔 अगर एक बार तुम उसकी ख़ामोशी को सुन लो, तो तुम सिर्फ़ उसकी महबूबा नहीं, बल्कि उसकी रूह की हम…
Read more🌧️🐭 "चूहे जी की छतरी: बारिश में फंसी सवारी" हमारे घर के नियम थोड़े अलग हैं — इन्सानों की बाद में पहले जीवों की भावनाएं 🤔मेरे पत…
Read moreताउम्र का साथ है (1) A सावन का सूनापन 🌧️ ठहर सा गया था वक़्त कहीं, बन बैठी मैं खुद से भी अजनबी। हर दीवार चुप सी कुछ न कहती थी, आईना भी चुप सा …
Read more🌕 गुरु पूर्णिमा पर एक कविता: ज्ञान का दीप 🕯️ ` हे गुरु! तुम शून्य में भी अर्थ खोज लाते हो, अंधेरों में नमी सी तुम्हारी वाणी भर जाती है। सिर्फ…
Read moreमैं वो बुझा हुआ दीया हूं। जिसे किसी ने फिर से जलाया नहीं। दरवाजे सालों से कुंडी खुलने की इंतजार में हैं। बाहर से लगी कुंडी है कि कभी खुलती ही नहीं।…
Read moreTerekrurmaunsehaarnajimanti सब कहते हैं---वह सब देख रहा है… तो क्या वह यह भी देखता है— कब, कैसे, क्यों कोई टूटता है? तकिये में दबी सिसकियां, …
Read more
Social Plugin