बीच राह में तेरा बिछड़ना आज तक खलता रहा। मैं रुकी मुड़कर भी देखा पर तू सीधे चलता रहा। ज़ख्म का पता था फिर क्यू दिल गमजदा रहा। रात भर बिस्तर में लेटकर…
Read moreकुछ गुजर गया, कुछ ठहर गया हर लम्हा जाने किधर गया। वक्त जो बीता है तन्हाई में,जो तेरे साथ बिता वो निखर गया। तेरे इश्क का रंग फिजा में गुलाब पंखुड़ी सा…
Read moreकिस-किस को बताऊं सब अपने ही लिए फिक्रमंद हैं यहां अपना ज़ख्म किसे दिखाऊं। अपने गिरेबान में झांकने की जहमत नहीं उठाई जिसने। भरी महफ़िल में उसे दास्ता…
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