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हम औरत है जनाब मर्द थोड़े ना हैं

 


Laotana kahoge lauta denge

हम औरत हैं जनाब, मर्द थोड़े ना हैं,  

दो बातें कोई हंसकर कर ले —  

मुहब्बत समझ लें ?  

हम औरत हैं जनाब, मर्द थोड़े ना हैं।


इत्तेफ़ाक़न हुई थी ये चाहत कभी,  

राह में मिल गए —  

जान-बूझकर की थोड़े ना हैं।


लिफ़ाफ़ा देख के पढ़ लेते हैं मज़मून,  

दिल की हर तह जान लेते हैं।  

मैं औरत हूं जनाब, मर्द थोड़े ना हूं।


आपको चाहिए पढ़ने को पूरी किताब,  

हम तो तीसरा नेत्र लिए फिरते हैं जनाब।


पढ़ ना सकोगे उम्र भर जिसको,  

बस एक पन्ना हैं हम,  

पूरी किताब थोड़े ना हैं।


लौटाने कहोगे तो लौटा देंगे—  

थोड़े- बहुत सामान,  

पर रखा पूरा हिसाब थोड़े ना हैं।


माना तुम्हें खोना मेरी बदनसीबी है।

पर कहो इसमें मेरी खता क्या है।

अपनी किस्मत हमने खुद लिखी थोड़ी ना है।


भूल जाएं छोड़ दें तुमको?  

मुहब्बत है ये जनाब,  

कोई मज़ाक थोड़े ना हैं।

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