सूरज सा चमकना है ना कभी अभिमान रखो। डूबते हुए भी ना कभी ग़म का नामोनिशान रखो।
बांटों उजाला सभी ओर बराबर सबके साथ समभाव और सदभाव रखना। बात आए जब जीने की जिंदगी
अपनी। समझे नहीं तुम्हें साथ ना ऐसा इन्सान रखना। देने को नहीं हो पास कुछ भी तेरे।
सबके लिए दिल में बस प्यार रखना। रिश्तों में ना आए दरार कभी। इसमें ना कभी व्यापार
रखना। रोके ना रिवाकयतों की बेड़िया तूझे। बढ़ते क़दम का बस सही राह रखना। ख़ामोश
रहना हो खामोश रहो। खामोशी में भी अंदाज़े बयां रखना।
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