मेरी नौकरानी का फोन आया। फोन पर नाम देखते हाथ-पैर मे झनझनाहट सी फैल गई। न जाने कौन से नए बहाने सुनाने वाली है। सारे बहानो ने एक साथ दिमाग पर ऐसा अटैक किया, मै हैलो बोलना भूल गई ।
गृहस्थ जीवन की समस्याओ मे सबसे बड़ी समस्या बाई की है। बाई के नही आने का सीधा असर गृहणी पर पड़ता है। पहले से करने वाले कामो मे इज़ाफा हो जाता है। मैने बोलने के लिए कोशिश की आवाज गले से बाहर आ ही नही रही थी।
आखो के सामने जूठे बर्तन और गंदे फर्श की तस्वीर आ रही थी।
मेरी मूक आवाज को सुनकर या योग कहू समझकर मंजू ने ही चुप्पी तोड़ी - मांजी आज आने मे थोड़ी देर हो जाएगी। आप काम रहने देना मै आकर कर लूगी।
यह सुनते मेरे शरीर मे बिजली से कौध गई । खुशी को छुपाते हुए पूछा - क्यो क्या हुआ ? सब ठीक तो है ? जी हा ठीक है लेकिन मै फोन पर बात नही बताई सकती। आकर बताती हू।
मै फोन रखकर अपने कामो मे लग गई
मंजू दस बजे आई और अपने काम मे जुट गई । मुझे तो याद भी नही रहा मंजूर कुछ ऐसा बताने वाली थी जिसे फोन पर नही बताया जा सकता था।
सारे काम निवटाकर वह मेरे पास आकर बैठ गई , तो मुझे याद आया मैने पूछा - हा, तो बताओ क्या बात हुई ।
ऐसा हुआ दीदी - मेरा आदमी सवारी स्टेशन पहुँचा कर लौट रहा था। रात के दस बज रहे थे। ठंड तो देख ही रहे हो कितनी ज़्यादा है। सड़क के किनारे जंगल है पूरा, वहा से बच्चे के रोने की आवाज सुनकर टेम्पो रोककर आवाज की तरफ गए तो देखा एक नवजात शिशु रो रहा था। इन्होने बच्चे को उठाकर गाड़ी के पिछले सीट पर डाला और ले आए । रातभर हमदोनो बच्ची मे लगे रहे। ठंड लगने से उसे बुखार हो गया था। सबेरे डाक्टर से दिखाकर आने पर मेरा मरद बोला तुम काम पर चली जाओ। भगवान जो करता है अच्छा ही करता है दो लड़का था एक लड़की दे दी।
मैने समझाने की कोशिश की देखो कोई कानूनी दाव- पेच मे न आ जाओ। पुलिस को बता दो फिर गोद ले लेना ।
मेरे समझाने का कोई असर नही हुआ । वह बच्चे को खोने के डर से डरकर मुझे ही समझाने लगी - दीदी मैने आपको अपना समझकर बताई है आप किसी को मत बताना कि मुझे एक *नाजायज बच्ची मिली है।
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया - नाजायज बच्चा ???
बच्चे कैसे नाजायज हो सकते है भला ? मै सोचती रही मा- बाप नाजायज होते है या बच्चा।
दिल से आवाज आई- - मां-बाप । लगता है मै सही हू----
सारे काम निवटाकर वह मेरे पास आकर बैठ गई , तो मुझे याद आया मैने पूछा - हा, तो बताओ क्या बात हुई ।
ऐसा हुआ दीदी - मेरा आदमी सवारी स्टेशन पहुँचा कर लौट रहा था। रात के दस बज रहे थे। ठंड तो देख ही रहे हो कितनी ज़्यादा है। सड़क के किनारे जंगल है पूरा, वहा से बच्चे के रोने की आवाज सुनकर टेम्पो रोककर आवाज की तरफ गए तो देखा एक नवजात शिशु रो रहा था। इन्होने बच्चे को उठाकर गाड़ी के पिछले सीट पर डाला और ले आए । रातभर हमदोनो बच्ची मे लगे रहे। ठंड लगने से उसे बुखार हो गया था। सबेरे डाक्टर से दिखाकर आने पर मेरा मरद बोला तुम काम पर चली जाओ। भगवान जो करता है अच्छा ही करता है दो लड़का था एक लड़की दे दी।
मैने समझाने की कोशिश की देखो कोई कानूनी दाव- पेच मे न आ जाओ। पुलिस को बता दो फिर गोद ले लेना ।
मेरे समझाने का कोई असर नही हुआ । वह बच्चे को खोने के डर से डरकर मुझे ही समझाने लगी - दीदी मैने आपको अपना समझकर बताई है आप किसी को मत बताना कि मुझे एक *नाजायज बच्ची मिली है।
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया - नाजायज बच्चा ???
बच्चे कैसे नाजायज हो सकते है भला ? मै सोचती रही मा- बाप नाजायज होते है या बच्चा।
दिल से आवाज आई- - मां-बाप । लगता है मै सही हू----
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