कभी इनको चुनते है कभी उनको चुनते है।
चुनने के बाद अक्सर हम सर अपना धुनते है।
हम किसके वंशज है हम उल्टा ही चुनते है ?
पशुओ के आहार भी हम चट कर जाते है ।
पशु आहार खाकर भी कैसे पचा वो जाते है।
मानवता को ताख पर रख पशुता दिखलाते है।
कभी जाति पर मरते है कभी धर्म पर मरते है।
मरने को तो हम आपस मे ही लड़कर मरते है।
हम किसके वंशज है हम बेमौत ही मरते है ?
हम कंबल बरसाते है तो पानी भी भींगाते है।
खुद को भींगाने हो तो पसीने से भींगाते है।
हम किसान के वंशज है मेहनत की खाते है।
होटल मे पींजा वरगर बड़े चाव से खाते है।
घर के खाने का थाल पटककर दिखलाते है।
कुबेर के वंशज है धन अपनी लूटाते है ?
घर फूंक तमाशा बनकर खुद ताली बजाते है।
जिस डाल पर बैठते है उसे ही काट गिराते है।
किसके हम वंशज है जो ऐसा कर जाते है ?
कुछ ऐसे भी बंदे है जो मातृभूमि पर मरते है।
कुछ जाहिलो को देखो शक उनपर करते है।
किसके ऐ वंशज है न जाने कहां से आते है?
हम आपस मे लड़ते है भाई भाई से झगड़ते है।
जब बात देश की आती है हम मुठ्ठी बन जाते है।
हम भारतवासी है दुनिया को दिखाते है।
चुनने के बाद अक्सर हम सर अपना धुनते है।
हम किसके वंशज है हम उल्टा ही चुनते है ?
पशुओ के आहार भी हम चट कर जाते है ।
पशु आहार खाकर भी कैसे पचा वो जाते है।
मानवता को ताख पर रख पशुता दिखलाते है।
कभी जाति पर मरते है कभी धर्म पर मरते है।
मरने को तो हम आपस मे ही लड़कर मरते है।
हम किसके वंशज है हम बेमौत ही मरते है ?
हम कंबल बरसाते है तो पानी भी भींगाते है।
खुद को भींगाने हो तो पसीने से भींगाते है।
हम किसान के वंशज है मेहनत की खाते है।
होटल मे पींजा वरगर बड़े चाव से खाते है।
घर के खाने का थाल पटककर दिखलाते है।
कुबेर के वंशज है धन अपनी लूटाते है ?
घर फूंक तमाशा बनकर खुद ताली बजाते है।
जिस डाल पर बैठते है उसे ही काट गिराते है।
किसके हम वंशज है जो ऐसा कर जाते है ?
कुछ ऐसे भी बंदे है जो मातृभूमि पर मरते है।
कुछ जाहिलो को देखो शक उनपर करते है।
किसके ऐ वंशज है न जाने कहां से आते है?
हम आपस मे लड़ते है भाई भाई से झगड़ते है।
जब बात देश की आती है हम मुठ्ठी बन जाते है।
हम भारतवासी है दुनिया को दिखाते है।
0 Comments