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महिला- दिवस- मुबारक

एक लड़की जो दो भाई के बीच पली । एकलौती बेटी, खूबसूरत मां-बाप की दुलारी। पढ़ाई मे अव्वल साथ मे घर के काम मे माहिर ।
आप आश्चर्य न करे यह कोई कहानी नही हकीकत व्यान कर रही हू। याद है सब्जी अच्छी नही लग रही ,यह सुनते उसके पापा ने रोक दिया-रूको मै आलू का भूजिया बनाकर लाता हू। मां ने बात काटी थी - क्यो बिगाड़ रहे हो। कल को पराय घर जाएगी तो क्या वहा साथ  जाओगे ?
पिता ने जबाब दिया- इसलिए तो कहता हू पराई जगह मे जाने से पहले तो इसकी हरेक इच्छा पूरी कर दो, फिर तो चाहकर भी नही कर पाएगे हम। फिर  इन्जिनियरिग की पढाई कर रही है। अपनी नौकरी ,परिवार बच्चो के बाद समय ही कहां निकाल पाएगी अपने लिए ।
पिताजी ने तो एकबार  लाड़ मे आकर यहां तक कि दिया था देख लाडो तू ससुराल मे जाकर अपनी पाक विद्या का जिक्र भी नही करना वर्ना सारे रसोईघर का काम तेरे जिम्मे आ जाएगा।
समय अपनी गति से चलता गया। बिटिया अपने बाबुल का घर छोड़कर ससुराल चली। बाबुल की सीख भूल गई ,या यू कहे किसी मे कोई हूनर हो तो छूपता नही है। सबको पता लग ही गया नई बहु खाना बनाने मे माहिर है।
नई जगह, नए लोग- उसे भी नई नई  डीश बनाकर खिलाने मे आनंद आता था। खाते हुए सभी बड़ाई करते - वाह,हमने कोई पुन्य किए होगे जो इतनी सुघर बहु मिली। कोई कहता भाभी पढ़ाई से कब फुर्सत मिली इतना कुछ कैसे सीख लिया आपने?
वह मन ही मन खुश होकर मुस्कराते हुए कहती- मां-बाप के साथ सहयोग करने मे सीख गई ।
देवर के सवाल के जवाब मे कह दिया- आज शाम मे समोसा बनाउगी । कह तो दिया लेकिन लगा समोसा बनाने मे तो बहुत  झमेले है। आलू उबालकर तैयार करो,मैदा गूथो फिर छोटे छोटे लोई बेलो ,फिर आलू भरो ,फिर तलो। साथ ही चटनी भी तैयार करने होगे। घबराहट मे दोपहर मे नीद भी नही आई ।
चार बजे से तैयारी शुरू कर दी। सासु मां ने आकर पूछा- क्या करने है बताओ? फारमेलटी मे कह तो दिया -नही आप बैठै मै कर लूगीं। ।।
समोसे निकलने के साथ सभी खाने मे टूट पड़े। वाह वाह की आवाज से मन खुशी से झूम रहा था। कड़ाई से एकबार मे 6 समोसे बाहर आते और खानेवाले सात। धीरे धीरे लोई की संख्या घटती चली गई । अब तो मात्र आठ बचे है। सभी एकसाथ तो आएगे नही। चलो 6 ही डालती हूं। तलकर उसे भी लेकर डाईनीग हाॅल मे पहुची। सबको एक एक दिया। सासु मां बची रह गई । अब मै अंतिम दो समोसो को कराही मे डालते हुए सोचने को मजबूर हो गई किसी ने देखा तक नही मेरे लिए भी कुछ बचे है या नही। मुझे अपने मैके कि याद आ गई । कैसे सभी को मेरा ही ख्याल रहता था। मेरे आखो से आंसू की धार बह निकली।
इतने मे मेरी सासू मां रसोई  मे आ गई, मैने जल्दी से अपने आंसू छिपाने चाहे, परन्तु सब व्यर्थ ।
अरे ! यह तो दो ही बचे है , तुमने बताया नही । कहते है जब आप दर्द मे होते हो और कोई  सहानुभूती के दो शब्द कहे तो आदमी भावुक हो जाता है। मैने रोते हुए कहा- हां बस दो ही बचे है,और मै उनसे लिपट गई ।
मुझे याद है कैसे मांजी भी भावुक हो उठी थी। वह दौड़कर वहा पहुची , अरे सुनो बहु के लिए तो कुछ बचा ही नही। उसने सारे तलकर यहा दे दिए ।
उनलोगो मे तीन लोगो ने अपने अंतिम समोसे शुरु नही किए थे, उनलोगो ने अपने अपने समोसे यह कहते हुए हटा दिए कि- मेरे लिए तो यह अधिक हो रहा है। आप इसे बहु को,भाभी को, और गीता के लिए ले जाए ।
सच कहूं मुझे शर्म भी हो रही थी और खुशी भी। गलत ना समझे खुशी इस बात की नही थी कि मुझे पांच समोसे हो गए ।खुशी थी तो इस बात की थी आज महिला दिवस है और मेरे देश मे महिलाओ के लिए कितनी इज्ज़त और कितना प्यार है। महिलाओ को इज्जत और प्यार दे साल मे एक दिन नही हर दिन दे। वह उससे कई गुणाकर लौटाएगी मां,बहन , प्रेयसी,पत्नी और बेटी बनकर ।

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