रूक्मिनी नहीं राधा भी नहीं।
मैं मीरा बनकर आई हूँ ।
मै तुझे मनाने आई हूँ।
कुछ तुमको देने आई हूँ।
कुछ तुमसे लेने आई हूँ।
मैं तुझे मनाने आई हूँ।
भक्तों के बीच घिरे थे तुम।
पहुँच न पाई तुम तक तो।
भरे मन वापस आई हूँ ।
मैं तुझे मनाने आई हूँ।
पहुँच न पाई तुम तक तो।
सीढी पर बैठ कर रोया है।
पद धूली लेने आई हूँ।
मैं तुझे मनाने आई हूँ।
अक्छत चंदन नहीं पास प्रिय।
धन दौलत न सम्मान प्रिय।
वस भाव चढाने आई हूँ।
मैं तुझे मनाने आई हूँ।
आज न आए प्रभु तुम तो।
मेरा अब क्या जाएगा ।
टूटा हुआ जो बरसो से,
मैं मीरा बनकर आई हूँ ।
मै तुझे मनाने आई हूँ।
कुछ तुमको देने आई हूँ।
कुछ तुमसे लेने आई हूँ।
मैं तुझे मनाने आई हूँ।
भक्तों के बीच घिरे थे तुम।
पहुँच न पाई तुम तक तो।
भरे मन वापस आई हूँ ।
मैं तुझे मनाने आई हूँ।
पहुँच न पाई तुम तक तो।
सीढी पर बैठ कर रोया है।
पद धूली लेने आई हूँ।
मैं तुझे मनाने आई हूँ।
अक्छत चंदन नहीं पास प्रिय।
धन दौलत न सम्मान प्रिय।
वस भाव चढाने आई हूँ।
मैं तुझे मनाने आई हूँ।
आज न आए प्रभु तुम तो।
मेरा अब क्या जाएगा ।
टूटा हुआ जो बरसो से,
अब और कितना टूट पाएगा।
भक्तों की पुकार सुन आने का,
भक्तों की पुकार सुन आने का,
तेरा वचन झूठा हो जाएगा।
कह दो तुमको न भक्त प्रिय,
कह दो तुमको न भक्त प्रिय,
या फिर नहीं मैं तेरी भक्तों में ।
मैं तुझे मनाकर जाउगी या,
मैं तुझे मनाकर जाउगी या,
प्राण त्याग कर जाउंगी।
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