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यह कुछ दूरी क्या दूरी है ?

सही पर साथ तो देंगे हजारों।
ग़लत पर साथ देनेवाला दोस्त चाहिए।

गुड़िया तुम्हारी है तुम ही ले लो।
कह अपनी गुड़िया देनेवाला दोस्त चाहिए।

रूठे भी मुझसे फिर मान भी जाए।
मुझसे मेरी ही शिकायत करने वाला दोस्त चाहिए।

थकावट सारी जिससे मिलकर दूर हो जाए।
फिर वही बचपन का मस्ती भरा रविवार चाहिए।

जिम्मेदारियों को निभाते हुए परेशान हूं इतना।
समझा भी नहीं जिन्दगी बची है अब कितना ?

हर कदम पर जिन्दगी क्यू मेरा इम्तिहान लेती है।
जो कुछ भी लगें प्यारा वह मुझसे छीन लेती है ।

एक दोस्त ऐसा चाहिए गाहे-बगाहे ही ।
 गले लगाकर ऐ कह दे जो होगा सब ठीक ही होगा।

खुदा को खुद में गर देखूं तो वगावत का नाम होता है।
खुदा को खुद में ना देखूं तो क़यामत पास होता है।

ख़ुदा गर है तो फिर हमसे वह इतना दूर पर क्यो है।
गर वह पास है मेरे तो फिर इतना पास में क्यो है ।

सुनती हूं कि देखने के लिए कुछ दूरी भी जरूरी है।
जरूरी है तो कोई बताए यह कुछ दूरी क्या दूरी है ?

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