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असफलता

मुझे एक कहानी याद आ रही है, आप भी पढ़ें होंगे।
आज हम असफलता हाथ लगती तो डिप्रेशन में चले जाते या फिर आत्महत्या करने की सोच लेते हैं। असफलताएं जीवन में आती रहती है, कभी आप पढ़ाई में , कभी नौकरी में ,कभी बिजनेस में तो कभी घरेलू जीवन में।
रिजल्ट आते सुसाइड का मौसम आ जाता है। मुझे जो कहानी याद आ रही है आप सबों को भी ज्ञात होगी, मैं सिर्फ यहां इसे दुहरा रही हूं।
एक बच्चा था, घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उसे एन डी ए में जाने का कौल आया था। माता पिता के पास आने जाने का भाड़ा देने को भी पैसे न थे। एक बहन थी जिसकी शादी हो चुकी थी। गरीब घर की बेटी को गहने होगे भी तो कितने ? फिर भी उसने अपने जेवर निकाल कर भाई को दिया, इसे बेचकर टिकट ले लो। गहने लेते हुए भाई ने कहा मुझे सौ फीसदी विश्वास है मैं चुन लिया जाऊंगा, फिर मैं तेरे लिए गहने बनबा दूंगा।
गहने बेचकर टिकट की व्यवस्था हो गई। हमेशा वहीं नहीं होता जो हम सोचते हैं। कुदरत के खेल भी अजीब होते हैं। वह सफल नहीं हो सका।
अब पचासों तरह की बातें दिमाग़ में आने लगी। घर कैसे जाऊंगा ? बहन के गहने भी चले गए। लगता है मैं बेकार हूं, मैं कुछ कर ही नहीं सकता। निराशा में वह अपने जीवन का अंत करने का निर्णय लिया। सोचा अब बेहतर यही होगा मैं अपनी जीवन लीला समाप्त कर लूं।
जैसे ही आप निराश होथ हो बुरी शक्तियों आप पर हावी हो जाती है, आपको गलत करने के लिए उकसाती है। वह इसे अंजाम देने के लिए एक पहाड़ पर चढ़ा। वह छलांग लगाने ही वाला था कि एक आवाज सुनकर रुका-- अरे रुको ! रुको! कहते हुए एक साधू उसके समीप आ रहा था। करीब आकर साधू बोला -क्या बात है बेटे ? क्या परेशानी है ?
सब कुछ सुनने के बाद साधू ने कहा- जानते हो तुम असफल क्यो हुए , भगवान नहीं चाहते तुम इस काम को करो, खुदा ने तुमसे कुछ और बड़े काम करवाने है। तुम आश्रम में चलों। दोनों आश्रम में पहुंचे, खाना खाकर सो गए। अगले दिन साधू ने टिकट के पैसे देने की कोशिश की, वह शर्माता हुआ बोला मैं आपका ऋण चुकाऊंगा कैसे ? साधू ने ज़बाब दिया-- दूसरों की सहायता करके।
वह लड़का अपने घर वापस आ गया, आपको पता ही होगा बाद में चलकर वह मिशाइल मैन बना। हमारे देश को अभूतपूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद जी मिलें, जिनपर पूरे देश को नाज है।
आशा है यह कहानी आपको याद आ गई होगी।

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