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बस एक राम ही ला दो तुम

           
                   
रावण बोल उठा पुतले से हैं कोई क्या मेरे जैसे।

मेरी मत गई थी मारी, हर लाया पराई नारी।
सुना है क्रोध सदा बुद्धि पर होता है भारी।

विवेकहीन होकर किए कृत्य पर शर्मा रहा हूं।
अपनी किए की सजा साल दर साल पा रहा हूं।

मुझको हर साल जलाने वालों।
जलाते हो क्यू मुझको हर साल।
राम को लेकर आ जाओ एकबार।

तुमने मुझको जाना ही कितना, बिन पहचाने जलानेवालो।
जलाते हो क्यू हर साल, राम को लेकर आओ तुम एकबार।

मैं ढूंढ रहा कब से सुन लो, एक राम तो मुझे दिखला दें तू।
मैं ख़ुशी ख़ुशी जल जाऊंगा, एक राम तो खोज के ला दें तू।

 राम के नाम का लेकर सहारा अपनी दुकान चलाने वालों।
भोली भाली मां बहनों को खुद ही शिकार बनानेवालों।

तुम तो ऐसे धरती पुत्र हो नन्हीं बच्ची से हवश मिटाते।
पवित्र स्थल को अपवित्र बनानेवालों।
मुझको हर साल जलाने वालों।
जलाते हो क्यू मुझे हर साल।
राम को लेकर आओ एकबार।

संतो के बीच छूपे हैवानों को जलाकर देखो तुम इस बार।
तुमने मुझको जाना ही कितना,

मैं मर्यादा कहते हैं किसको, यह पाठ सिखाने आया हूं।
मैं रावण भले दस मुंहवाला, अपने गिरेबान में झांको तुम।
एक चेहरे पर दस दस चेहरे हैं, नाकाब उठाकर देखो तुम।
तुम मुझे जलाने आए हों, मैं हैवानों को जलाकर जाऊंगा।

रावण जलाने वालों मैं नारी का सम्मान तुम्हें सिखाऊंगा।
पशु से बद्तर नर है वह जो नारी का सम्मान नहीं करता।
दुर्योधन बनता है तो फिर अपना पूरा कुटूम्ब नाश हैं करता।

मैं ढूंढ रहा कब से सुन लो एक राम मुझे दिखा दे तुम।
मैं रावण भले दस मुंहवाला पर हो सके तो खुद को देखो तुम।


मैं ढूंढ रहा कब से सुन लो, बस एक राम दिखला दे तू।
मैं ख़ुशी ख़ुशी जल जाऊगा बस एक राम ही ला दे तू।

सुनो जो राम न हो वह मेरी चिता को गर आग लगाएगा।
श्राप रहा यह ब्राह्मण पुत्र का जल कर भस्म हो जाएगा।

बंद करो यह सब नाटक नौटंकी अपना डेरा उखाड़ो तुम।
जलानी है तो अपने अंदर के रावण को इसबार जलाओ तुम।

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