तुम्हारी तुलना तुम से करते हुवे, मुझको डर सौ लागे सै।
माखन लगा मुंह देख कन्हैया, यशोदा की याद दिलाबै सै।
गोपियन की मटकी फोड़ी, उनको तुम बहुत सताबै सै।
अनाचारी कंश नू मारा, राम बन सेवरी के जूठो खाबै सै।
तेरी माया तुम ही समझो कन्हैया सारा जग भरमावै सै।
कुछ समझौ कुछ समझ ना पावौ तुलना करत डर लागै सै।
अहिल्या को तार कै तू तो तारणहार कहाबै सै।
अपनी बंसी की धुन पर राधा नू नाच नचाबै सै।
तुमरो तुलना करत कन्हैया मन बहुत घबराबै सै।
राज्य मिले कौ खुशी ना तुमरो, न वन जावै दुख व्यापै सै।
सुख दुःख जाको एक जस लाग्यो, वही तो राम कहाबै सै।
मैं मुरख तुलना करौ तेरी किससौ, समझ न मुझको आबै सै।
तुमरी तुलना करत लगै ऐसों ज्यो, सूरज कौ दीप दिखाबै सौ।
कर्म विमुख देख अर्जुन रौ, तुम गीता कै पाठ पढाबै सै।
द्रोपदी के लाज बचावन,छाड़ि काज सब दौड़ी तू आबै सै।
तुम्हारी तुलना तुम से करते हुवे, मुझको तो डर सौ लागैसै।
विवाई फटल पैर देखी सुदामा कौ अखियन सौ नीर बहाबत सै
दोस्तन बीच कोई भेद ना मानै, संसार को यह भेद बताबय सै।
गजराज के पुकार सुनी आयो, ग्राह मारी गजराज उबारौ।
बाली मारी सुग्रीव को पत्नी दिलाई राज्याभिषेक कराबौ।
अंत समय जब आबै मेरा, बस तू मिलन को आ जैहो।
इतनी विनती मेरी है कान्हा, तू दरश दिखाने आ जइहौ।
जाते बखत डर काहे कि, मैं तेरी तुलना करूं राधा संग
तुम दोनों हो एक कन्हइया, तेरी तुलना हो सके राधा सौ।
माखन लगा मुंह देख कन्हैया, यशोदा की याद दिलाबै सै।
गोपियन की मटकी फोड़ी, उनको तुम बहुत सताबै सै।
अनाचारी कंश नू मारा, राम बन सेवरी के जूठो खाबै सै।
तेरी माया तुम ही समझो कन्हैया सारा जग भरमावै सै।
कुछ समझौ कुछ समझ ना पावौ तुलना करत डर लागै सै।
अहिल्या को तार कै तू तो तारणहार कहाबै सै।
अपनी बंसी की धुन पर राधा नू नाच नचाबै सै।
तुमरो तुलना करत कन्हैया मन बहुत घबराबै सै।
राज्य मिले कौ खुशी ना तुमरो, न वन जावै दुख व्यापै सै।
सुख दुःख जाको एक जस लाग्यो, वही तो राम कहाबै सै।
मैं मुरख तुलना करौ तेरी किससौ, समझ न मुझको आबै सै।
तुमरी तुलना करत लगै ऐसों ज्यो, सूरज कौ दीप दिखाबै सौ।
कर्म विमुख देख अर्जुन रौ, तुम गीता कै पाठ पढाबै सै।
द्रोपदी के लाज बचावन,छाड़ि काज सब दौड़ी तू आबै सै।
तुम्हारी तुलना तुम से करते हुवे, मुझको तो डर सौ लागैसै।
विवाई फटल पैर देखी सुदामा कौ अखियन सौ नीर बहाबत सै
दोस्तन बीच कोई भेद ना मानै, संसार को यह भेद बताबय सै।
गजराज के पुकार सुनी आयो, ग्राह मारी गजराज उबारौ।
बाली मारी सुग्रीव को पत्नी दिलाई राज्याभिषेक कराबौ।
अंत समय जब आबै मेरा, बस तू मिलन को आ जैहो।
इतनी विनती मेरी है कान्हा, तू दरश दिखाने आ जइहौ।
जाते बखत डर काहे कि, मैं तेरी तुलना करूं राधा संग
तुम दोनों हो एक कन्हइया, तेरी तुलना हो सके राधा सौ।
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