सेव न होता तो यह दुनिया कैसी होती।
ना मैं होता न तू होती।
सारे फसाद की जड़ मुझे दिखाई देती।
सेव न होता तो ऐ प्यार मुहब्बत का लफड़ा न होता।
ना मैं होता न तू होती।
आदम-हब्बा न बागे-बहिश्त से निकालें जाते।
आदम-हब्बा बागे बहिश्त में पड़े होते।
ना मैं होता न तू होती।
जर्रा- जर्रा परेशान है न्यूटन के सेव से।
सेव खाया होता दिमाग़ न लगाया होता।
ना मुझे पढना होता न तुझे पढ़ाना होता।
खुद न खाने थे तो जरुरत क्या थी ।
जरुरत ही क्या थी नियम बनाने की।
जिज्ञासा की भी कोई हद है क्यो गिरा ?
सेव तो सेव हैं हाइड्रोजन भरी बैलून तो नहीं।
जमीन पर ही गिरेगा आकाश में उड़ेगा नहीं।
हम हर वक्त गिरते हैं गिरने का सबब सीखा ही नहीं।
खुद गिरते दूसरों को गिरते देखने के मंसूबे रखते हैं ।
महंगाई के इस दौड़ में सेव को सब बस देखते ही रह जाते है।
बुरा हाल हो इस सेव का देखते हैं,हम खाने को तरस जाते है।
न्यूटन ने हमें हवा में उड़ा दिया, हम नीचे धंसते ही चलें जाते हैं
ना मैं होता न तू होती।
सारे फसाद की जड़ मुझे दिखाई देती।
सेव न होता तो ऐ प्यार मुहब्बत का लफड़ा न होता।
ना मैं होता न तू होती।
आदम-हब्बा न बागे-बहिश्त से निकालें जाते।
आदम-हब्बा बागे बहिश्त में पड़े होते।
ना मैं होता न तू होती।
जर्रा- जर्रा परेशान है न्यूटन के सेव से।
सेव खाया होता दिमाग़ न लगाया होता।
ना मुझे पढना होता न तुझे पढ़ाना होता।
खुद न खाने थे तो जरुरत क्या थी ।
जरुरत ही क्या थी नियम बनाने की।
जिज्ञासा की भी कोई हद है क्यो गिरा ?
सेव तो सेव हैं हाइड्रोजन भरी बैलून तो नहीं।
जमीन पर ही गिरेगा आकाश में उड़ेगा नहीं।
हम हर वक्त गिरते हैं गिरने का सबब सीखा ही नहीं।
खुद गिरते दूसरों को गिरते देखने के मंसूबे रखते हैं ।
महंगाई के इस दौड़ में सेव को सब बस देखते ही रह जाते है।
बुरा हाल हो इस सेव का देखते हैं,हम खाने को तरस जाते है।
न्यूटन ने हमें हवा में उड़ा दिया, हम नीचे धंसते ही चलें जाते हैं
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