(१)
कौन कहता है मैं इश्के बिमार हूं।
आपकी खुशी की मैं तलबगार हूं।
पता हीं न चला हम देखते रह गए।
देखते-देखते ही तुम कहां चल गए।
ना नशे में था ना ही मैं था सोया हुआ।
अर्धनिन्द्रा में था सपनों में खोया हुआ।
(२)
ढूंढता ही रहा दीवानो सा दरबदर तुमको।
ना तेरा पता था न थी कोई तस्वीर तेरी।
आकाश धरती के बीच फंसी रह गई तकदीर मेरी।
मेरे घर ताला पड़ा था न जमीं थी ना आकाश मेरा।
ढूंढ ही लेंगे तुमको यह जीद्द है मेरी।
तू तो है मात्र इन्सान खुदा तो नहीं ।
(३)
अंतिम घड़ी जब आ रही सामने से मेरे।
याद आ रहें जाने-अनजानेअपने-पराए।
सोच रहा हूं जाना था यह जान मन फिर क्यू प्रीत लगाएं।
जाने वाला जाते-जाते सबको रूला हंसता हुआ चल जाए
(४)
उठकर घर में दीपक जला लीजिए।
जाने से पहले अपने पिता घर पगली।
रोशनी पति घर में तो फैला लीजिए।
वह न आएंगे तुमको मनाने सनम।
खुद को खुद से ही मना लीजिए।
बीते दिनों की सुहानी यादें लेकर जाइए।
खट्टी-मीठी सारी यादें भूला जाइए।
कौन कहता है मैं इश्के बिमार हूं।
आपकी खुशी की मैं तलबगार हूं।
पता हीं न चला हम देखते रह गए।
देखते-देखते ही तुम कहां चल गए।
ना नशे में था ना ही मैं था सोया हुआ।
अर्धनिन्द्रा में था सपनों में खोया हुआ।
(२)
ढूंढता ही रहा दीवानो सा दरबदर तुमको।
ना तेरा पता था न थी कोई तस्वीर तेरी।
आकाश धरती के बीच फंसी रह गई तकदीर मेरी।
मेरे घर ताला पड़ा था न जमीं थी ना आकाश मेरा।
ढूंढ ही लेंगे तुमको यह जीद्द है मेरी।
तू तो है मात्र इन्सान खुदा तो नहीं ।
(३)
अंतिम घड़ी जब आ रही सामने से मेरे।
याद आ रहें जाने-अनजानेअपने-पराए।
सोच रहा हूं जाना था यह जान मन फिर क्यू प्रीत लगाएं।
जाने वाला जाते-जाते सबको रूला हंसता हुआ चल जाए
(४)
उठकर घर में दीपक जला लीजिए।
जाने से पहले अपने पिता घर पगली।
रोशनी पति घर में तो फैला लीजिए।
वह न आएंगे तुमको मनाने सनम।
खुद को खुद से ही मना लीजिए।
बीते दिनों की सुहानी यादें लेकर जाइए।
खट्टी-मीठी सारी यादें भूला जाइए।
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