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गोल्डेन सीडम

गोल्डेन सीडम क्रेसूलेसी फेमली से आता है। यह साउथ अफ्रीका से है।आज इसकी प्रमुख जानकारी शेयर कर रही हूं।(१) गोल्डेन सीडम सकूलेंट है।
(२) इसकी मिट्टी ऐसी रखें पानी रूके नहीं। मिपमि में कोकोपीट,कोकोपीट हस्क, कम्पोस्ट और परलाईट का उपयोग करें।
(३) धूप-- इसे धूप में रखने पर गोल्डेन कलर का हो जाता है, छाए में इसकेे पत्ते हरे रंग के होते है।
(४) केयर-- गोल्डेन सीडम की देखभाल में पानी और धूप पर ध्यान देना चाहिए। पानी मिट्टी सूखने पर दिया करें। धूप में रखें तो डायरेक्ट धूप न हो। छायवाली धूप में रखें।
(५) कैसे उगाए-- इसे आप पत्ते से नया पौधा बना सकते है।
(६) कहां लगाए-- इसे ग्राऊड कौभर करने, गमले और जमीन पर लगा सकते है।
(७) इसे पथरीली जमीन पर भी लगा सकते है।
(८) फूल-- धूप में रखने पर कभी कभी इसमें खूबसूरत फूल भी आते है। फूल पीले रंग में आते है।
(९) गरमी में इसका बढना रुक जाता है। बहार में यानि जनवरी फरवरी में यह बढना शुरू कर देता है।
(१०) खाद-- इसे बार बार खाद देने की जरूरत नहीं है। जनवरी फरवरी में कोई भी स्लो रिलीज फर्टीलाइजर दे सकते है।
(११) दिसंबर , जनवरी में धूप में रखें। कम लाईट में इसकेे तने लम्बे हो जाते और पत्ते दूर दूर में आते हैं।
(१२) पेस्ट-- मिलीबग का प्रकोप होने पर नीम आॅयल का छिड़काव करें।
(१३) मल्चिंग-- पौधे की मल्चिंग अवश्य करें।
(१४) बरसात के दिनों में पानी से बचाव करें।

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