अब मै ऊब रही थी।मै हा हू कर रही थी और मेरे दिल दिमाग मे कुछ और ही चल रहा था। जूठे बर्तन झाडू पोछा मेरे मानस पटल पर एक के बाद एक आ रहे थे जिसके साथ मुझे जंग लडनी थी। सच कहा जाए तो मै चाह रही थी रानी चली जाए ताकि मै अपने काम मे लगू ।
ऐसा लग रहा था रानी ने आज अपनी सारी प्रेम कहानी सुनाने की ठान रखी थी। मैने जान छूडाने के लिए (बेदिली से) पूछ लिया चाय पीनी है बनाऊ। मैने तो यू ही पूछा था लेकिन उसने हामि भर दी। मै अनमने भाव से किचेन की तरफ बढी दो खुशी साथ लिए । एक चाय पीने की और दूसरी रानी की आत्म कथा से बचने की। मेरे भाग्य मे यह खुशी न थी। मेरे पीछे रानी भी वहा आ गई। बर्तन पर नज़र डालकर मेरे पर तरस खाते हुए बोली आज तो आपको बहुत परेशानी हो जाएगी। फिर से वह अपनी अधूरी कहानी शुरू कर दी। जानती है दीदी मेरा आदमी कोई काम नही करता। इतना बड़ा परिवार ससुर के पेंशन और जेठ की कमाई से चलता था।कुछ दिन तक ऐसे चलता रहा फिर जेठानी ने लड़ाई शुरु कर दी। वे दोनो अलग रहने लगे। दीदी रिमांड होम मे मैने पढ़ाई की थी। मै मुहल्ले के बच्चो को ट्यूशन पढाने लगी। कुछ पैसे आने लगे। गरीबो का मुहल्ला था। पैसे भी ठीक से कोई देता कहा था। उधारी से कैसे काम चलता सो मैने यह काम शुरू कर दिए। अब मै आठ-दस हजार कमा लेती हू।
ससुर जी नही रहे। ननद की शादी हो गई । जेठ जेठानी चले गए। मै कहा जाऊ? दोनो बच्चे का मुह देखकर जिन्दा हू।
मेरा सर दुखने लगा। अब आगे सुन पाने की हिम्मत न रही मुझमे। मैने चिढ़कर कहा तुम छोड क्यो नही देती ऐसे निकम्मे आदमी को। दीदी मै छोड नही सकती राबर्ट को मै उसे बहुत प्यार करती हू, उसके बगैर रह नही पाऊगी। मै छोड दूगी तो उसका क्या होगा ? दीदी वह भी बहुत पसंद करता है मुझे। उसमे बस यही बुराई है पीने के बाद गाली-गलौच करता है, मारपीट करता है। दीदी वह एकदम सलमान खान दिखता है। कभी आपके यहा लेकर आऊगी आप देखना।
अब मेरे को समझ लग गई रानी की मुहब्बत सूरत वाली है सिरत वाली नही। कही पढी पंक्ति याद आ गई- सुन्दर वस्तुए ही संसार मे सर्वनाश का कारण बनती है। मुहब्बत मे इन्सान कितना कमजोर हो जाता है। अपने महबूब की खामिया भी बर्दाश्त कर लेता है। मैने सुन रखे थे मुहब्बत मे सब कुछ जायज है, लेकिन अब देखा मुहब्बत मे तो प्रेमी से मार खाना भी जायज है।
ऐसा लग रहा था रानी ने आज अपनी सारी प्रेम कहानी सुनाने की ठान रखी थी। मैने जान छूडाने के लिए (बेदिली से) पूछ लिया चाय पीनी है बनाऊ। मैने तो यू ही पूछा था लेकिन उसने हामि भर दी। मै अनमने भाव से किचेन की तरफ बढी दो खुशी साथ लिए । एक चाय पीने की और दूसरी रानी की आत्म कथा से बचने की। मेरे भाग्य मे यह खुशी न थी। मेरे पीछे रानी भी वहा आ गई। बर्तन पर नज़र डालकर मेरे पर तरस खाते हुए बोली आज तो आपको बहुत परेशानी हो जाएगी। फिर से वह अपनी अधूरी कहानी शुरू कर दी। जानती है दीदी मेरा आदमी कोई काम नही करता। इतना बड़ा परिवार ससुर के पेंशन और जेठ की कमाई से चलता था।कुछ दिन तक ऐसे चलता रहा फिर जेठानी ने लड़ाई शुरु कर दी। वे दोनो अलग रहने लगे। दीदी रिमांड होम मे मैने पढ़ाई की थी। मै मुहल्ले के बच्चो को ट्यूशन पढाने लगी। कुछ पैसे आने लगे। गरीबो का मुहल्ला था। पैसे भी ठीक से कोई देता कहा था। उधारी से कैसे काम चलता सो मैने यह काम शुरू कर दिए। अब मै आठ-दस हजार कमा लेती हू।
ससुर जी नही रहे। ननद की शादी हो गई । जेठ जेठानी चले गए। मै कहा जाऊ? दोनो बच्चे का मुह देखकर जिन्दा हू।
मेरा सर दुखने लगा। अब आगे सुन पाने की हिम्मत न रही मुझमे। मैने चिढ़कर कहा तुम छोड क्यो नही देती ऐसे निकम्मे आदमी को। दीदी मै छोड नही सकती राबर्ट को मै उसे बहुत प्यार करती हू, उसके बगैर रह नही पाऊगी। मै छोड दूगी तो उसका क्या होगा ? दीदी वह भी बहुत पसंद करता है मुझे। उसमे बस यही बुराई है पीने के बाद गाली-गलौच करता है, मारपीट करता है। दीदी वह एकदम सलमान खान दिखता है। कभी आपके यहा लेकर आऊगी आप देखना।
अब मेरे को समझ लग गई रानी की मुहब्बत सूरत वाली है सिरत वाली नही। कही पढी पंक्ति याद आ गई- सुन्दर वस्तुए ही संसार मे सर्वनाश का कारण बनती है। मुहब्बत मे इन्सान कितना कमजोर हो जाता है। अपने महबूब की खामिया भी बर्दाश्त कर लेता है। मैने सुन रखे थे मुहब्बत मे सब कुछ जायज है, लेकिन अब देखा मुहब्बत मे तो प्रेमी से मार खाना भी जायज है।
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