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मीठू

कहते है माता-पिता के गुण संतान मे आते है। मेरे पिता जी को जानवरो से बहुत लगाव था। एक दिन  कोर्ट से आए तो उनके हाथ मे एक पिछड़ा जिसमे एक मिठाई यानि हरे बदन और लाल चोच । तोता को देखकर हम सभी भाई- बहन के खुशी का ठिकाना नही। हमने आनन-फानन उसके नामकरण भी कर डाले- मीठू।
हम सभी उसकी सुविधा के तरह-तरह के उपाय करने लगे। रसोई घर से दो कटोरे लाए गए। एक मे खाना एक मे पानी।
चने भीगो दिए गए। किसी ने कहा मिर्च खाने से इसकी जीभ पतली होगी तो बहुत बोलेगा। रसोई से मिर्च लाकर दिया गया। हमने इंतजार शुरू कर दिया, जल्दी खाए ताकि बोलना शुरू करे। हमे काफी निराशा हुई वह पिछड़े मे इधर-उधर भाग रहा मिर्च को छुआ तक नही।
माँ को तोता का आना पसंद नही आया था। पिता जी के पशु प्रेम पहले भी देख चुकि थी। पिता जी को कुछ कह नही सकती थी सो उनका प्रवचन हमे सुनने पड़े। तुम लोग पढ़ाई छोड़कर इसी मे लगे रहो। इसको खिलाड़ियों यही तुमन बदले पढ़ाई करेगा। यह गंदगी भी फैलाएगा, कौन साफ करेगा ? चना भीगोना, गंदगी साफ करना, नहाना धुलाना मै जानती हू मेरे सर पर ही आएगा।
माँ ने अपनी आवाज कुछ इतना तेज कर ली थी ताकि पिता जी सुन सके। वही हुआ जिसकी आशंका थी, पिता जी अंदर आए। माँ को गुस्से मे देखकर कहा- आप नाराज न हो, स्नान करने से पहले मै इसकी गंदगी साफ कर दिया करूंगा और बच्चे खाना खिला दिया करेगे। मेरी तरफ देखकर बोले नगीना इसे बोलना सीखा देगी (यह मुझपर व्यंग्य था मै कम बोलती )
माँ जो चुप थी बोल उठी - मँह मे जुबान तो है नही सिखाएगी कैसे?
इस तरह मीठू हमारे घर का सदस्य बन गया। शेरू (कुत्ता) को यह बात पसंद नही आई। अपना प्यार बटता देख वह मीठू पर नाराज रहने लगा। हमे मीठू के पास देखकर भूकना शुरू कर देता। अगर मीठू पिछड़े मे न होता तो उसे मार डालता। मीठू कैंसर पिजड़े काफी उचाई पर लटकाए जाते।
एक दिन ऐसा कुछ हुआ कि शेरू का ह्रदय परिवर्तित हो गया। जाड़े का समय था नहलाकर मीठू को धूप मे रख दिया गया था। सभी अपने काम मे थे। इतने मे एक बिल्ली कही से आकर मीठू की पूछ पकड़ ली। मीठू बहुत कसकर चिल्लाया। उसकी चिल्लाहट सुनकर सभी दौड़कर आए। शेरू भी दौड़कर पहुंचा। मीठू के पूछ के बाल जमीन पर पड़े थे। उस दिन समझी जानवर भी दिल के धनी होते है। हमलोगो के साथ शेरू भी दुखी था। यहा तक कि रात मे उसने ठीक से खाना भी नही खाया। उस दिन एक और दया की मूर्ती देखी मैने। माँ उसे पिछड़े से बाहर निकालकर अपने सीने से लगाई हुई थी। मीठू भी उनके सीने से लगकर अपने को सुरक्षित महसूस कर रहा था। हम सभी रात मे सोने चले गए । यहा तक कि पिता जी भी परन्तु माँ और शेरू रातभर मीठू के पिछड़े के पास बैठे रहे। उस घटना के बाद शेरू मीठू का दोस्त बन गया। ....फिर  कभी

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