जाने अंजाने हमारी-आपकी जिंदगी में लोग आते हैं फिर चले जाते हैं। कभी इनका साथ लम्बा तो कभी छोटा-सा होता है, कभी कोई पूरी जिंदगी साथ निभाता है। मुझे लगता सब खुदा के भेजें फ़रिश्ते होते हैं। यह कभी दोस्त,कभी पड़ोसी,कभी आपके जीवन साथी तो कभी आपके औलाद के रूप में आपके पास आते हैं। कभी कभी तो छोटे से सफ़र में आकर आपका साथ दे जाते हैं।
क्या यह ऐसे ही होता या फिर कोई संचालन करता है। आप दूर न जाएं अपनी बिताई जिंदगी पर नज़र डालें तो आप को समझ लग जाएगी। हर इंसान जो आपके करीब से होकर गुजरा है आपका कुछ न कुछ भला कर गया है।
आप शायद मुझसे सहमत न हों परन्तु ऐसा ही है। किसी ने आपकी जिंदगी में आकर आपको धोखा दिया (ऐसा आपको लगता है)। जरा ध्यान दें उसने आपको कुछ न कुछ दिया है आपसे कुछ लिया नहीं है। थौड़ी सी अपने नफरत को अलग कर देखें। करता आपने एक पाठ एक सबक नहीं सीख लीं और यह सीखी सबक आपको तमाम उम्र नहीं काम आएगी। अब आप अगर ऐसे आदमी को नफरत की नजर से देखते हैं तो गलती आपकी है।
आपने जिंदगी में पैसों को इतना महत्व दिया कि जिंदगी जीने का आनन्द ही नहीं लिया। सारे रिश्ते नातों से , अपने दोस्तों से इसलिए बचते रहे कहीं कोई आपसे उधार न मांग ले, या आपके पैसे इनपर खर्च न हो जाए। औलाद के लिए पैसे जोड़ते रहे, घर और मकान बनाते रहे। आपने सोचा ही नहीं बच्चों को पढ़ाते चलें गए। पैसे मकान जोड़ दिया तो अपने औलाद को तो ऐशो आराम से जीने दिया होता।
अब आपकै बच्चे की आमदनी से हर महीने मकान, गाड़ी खरीदी जा सकती है। आपके तमाम उम्र के कमाया पैसा उसकी कमाई के आगे किस कदर बौना हो गया। आपके औलाद ही आपकों कह गए - पापा आप खाओ पियो मजे से रहें आपको जितना चाहिए मैं भेज दूंगा।
सच कहें आपको ऐसा नहीं लगता आपने जो जिंदगी गंवा दी फिर वापस मिल जाती ? जी हां यहां भी खुदा के भेजें फरिश्ते आपके साथ थे लेकिन सबक सिखाने में उन्होंने थोड़ी देर कर दी।
0 Comments