नया साल के आते ही दिल मे नये संकल्प लेने की इच्छा तीव्र हो रही। हर साल पांच सात संकल्प तो ले ही लिया जा सकता है। यह फ्री है कोई टैक्स वगैरह का लफड़ा भी नही। अबकी साल न जाने क्यू डर लग रहा है । विगत वर्षो मे लिए गए संकल्प ने हिम्मत ही तोड़कर रख दी है। सारे के सारे संकल्पो कुछ खुद-ब-खुद मर गए कुछ का मैने कत्ल कर दिया। एक जनवरी को खुद से वादा किया था,बहुत हुआ अब कभी गोलगप्पे नही खाऊगी। सवेरे-सवेरे लिया संकल्प शाम तक बेमौत मर गया।
जब खुद के लिए संकल्प की ऐसी हालत है तो बच्चो को प्रोत्साहित कर लिवाए गए का क्या कहना ही क्या ? कल साल का पहला दिन है सबेरे पाच बजे उठना शुरु कर दो। हा और कोई उठाएगा भी नही खुद से बिछावन छोड़नी है। याद है सभी ने एकमत से हामी भरी थी। सुबह के दस बजे तक इंतजार किया अब और कितना करते भाई ? आखिर मे ग्लास मे बेड पर ही बच्चो को मोरनींग वाथ देनी पड़ी। सोचती हू हम खामखा सरकार को कोसते रहते है, जब अपनी खुशी से लिए संकल्प की जिंदगी भी इतनी छोटी सी है तो भला नेताजी को क्या दोष देना ? उन्होने तो संकल्प नही लिए सिर्फ और सिर्फ जनता जनार्दन से वादे किए थे। हम सभी को ज्ञात है वादे तोड़ने के लिए ही तो किए जाते है।
आप भी मिले होगे ऐसे महान संकल्पी से जिन्हे आपने ( भांग, गांजा, गुटखा,सिगरेट शराब,,,) ऑफर करने पर मना करते पाया होगा-- नही यार मैने नया साल मे इन चीजो को हाथ न लगाने की कसम खाई है। ऐसा संकल्प लेनेवाले दूसरे ही दिन मैखाने मे टून देखे तो मै समझती हू उनको उनके संकल्प के बारे मे कुछ पूछना अपनी ही बेवकूफी दिखाना है।
मै ऐसा कर चूकि हू इसलिए आपको अपना बहुमूल्य अनुभव बताती हू। मेरे पड़ोस से जब झगड़ने की आवाज आई तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा। दो दिन पहले की ही बात थी आंटी ने मुझसे कहा था- मैने संकल्प लिया है अब से मै बहु को कुछ नही कहूगी,उसकी जिंदगी है जैसे जीए मेरा क्या ?मुझे तो अब दो रोटी से मतलब है। मेरी खुशी का ठिकाना नही। दिन-रात की सास बहु के कचकच ने मेरा जीना दूभर कर दिया था। मन ही मन ऐ जो संकल्प लेने की प्रक्रिया है उसे सराहने लगी। जब झगड़ा निवटाकर ऑटी मेरे घर जोडन लेने आई तो मैने आखिर उनसे पूछ ही लिया, आपने तो बहु को कुछ न कहने का संकल्प लिया था ? चुल्हा भाड़ मे जाए संकल्प । सच कहती हू जैसे ही मेरी बहु मेरे सामने आती है मेरी इच्छा उसके मां-बाप को गलियाने की होती है।
एक तो मेरा अपना भी अनुभव संकल्प को लेकर कोई अच्छा नही था, उपर से ऐसे संकल्प तोड़ूओ ने और मेरा विश्वास पक्का कर दिया कि संकल्प लेकर तोड़ने से बेहतर है पिछले साल के टूटे फूटे, लंगड़े लूल्हे और मरे अधमरे सकल्पो को चासनी मे डूबोकर खा लिया जाए।
बीते सालो मे निनानबे प्रतिशत संकल्प जो मैने लिए थे सब मुझे मुह चिढ़ा रहे थे। मुझे लगा अगर अपना आत्मविश्वास कायम रखनी है तो अब नया संकल्प लेने के चोचले से बचने होगे।
अब कभी भी नया साल पर कोई संकल्प नही लेने का संकल्प लेकर मै चलती हू।
जब खुद के लिए संकल्प की ऐसी हालत है तो बच्चो को प्रोत्साहित कर लिवाए गए का क्या कहना ही क्या ? कल साल का पहला दिन है सबेरे पाच बजे उठना शुरु कर दो। हा और कोई उठाएगा भी नही खुद से बिछावन छोड़नी है। याद है सभी ने एकमत से हामी भरी थी। सुबह के दस बजे तक इंतजार किया अब और कितना करते भाई ? आखिर मे ग्लास मे बेड पर ही बच्चो को मोरनींग वाथ देनी पड़ी। सोचती हू हम खामखा सरकार को कोसते रहते है, जब अपनी खुशी से लिए संकल्प की जिंदगी भी इतनी छोटी सी है तो भला नेताजी को क्या दोष देना ? उन्होने तो संकल्प नही लिए सिर्फ और सिर्फ जनता जनार्दन से वादे किए थे। हम सभी को ज्ञात है वादे तोड़ने के लिए ही तो किए जाते है।
आप भी मिले होगे ऐसे महान संकल्पी से जिन्हे आपने ( भांग, गांजा, गुटखा,सिगरेट शराब,,,) ऑफर करने पर मना करते पाया होगा-- नही यार मैने नया साल मे इन चीजो को हाथ न लगाने की कसम खाई है। ऐसा संकल्प लेनेवाले दूसरे ही दिन मैखाने मे टून देखे तो मै समझती हू उनको उनके संकल्प के बारे मे कुछ पूछना अपनी ही बेवकूफी दिखाना है।
मै ऐसा कर चूकि हू इसलिए आपको अपना बहुमूल्य अनुभव बताती हू। मेरे पड़ोस से जब झगड़ने की आवाज आई तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा। दो दिन पहले की ही बात थी आंटी ने मुझसे कहा था- मैने संकल्प लिया है अब से मै बहु को कुछ नही कहूगी,उसकी जिंदगी है जैसे जीए मेरा क्या ?मुझे तो अब दो रोटी से मतलब है। मेरी खुशी का ठिकाना नही। दिन-रात की सास बहु के कचकच ने मेरा जीना दूभर कर दिया था। मन ही मन ऐ जो संकल्प लेने की प्रक्रिया है उसे सराहने लगी। जब झगड़ा निवटाकर ऑटी मेरे घर जोडन लेने आई तो मैने आखिर उनसे पूछ ही लिया, आपने तो बहु को कुछ न कहने का संकल्प लिया था ? चुल्हा भाड़ मे जाए संकल्प । सच कहती हू जैसे ही मेरी बहु मेरे सामने आती है मेरी इच्छा उसके मां-बाप को गलियाने की होती है।
एक तो मेरा अपना भी अनुभव संकल्प को लेकर कोई अच्छा नही था, उपर से ऐसे संकल्प तोड़ूओ ने और मेरा विश्वास पक्का कर दिया कि संकल्प लेकर तोड़ने से बेहतर है पिछले साल के टूटे फूटे, लंगड़े लूल्हे और मरे अधमरे सकल्पो को चासनी मे डूबोकर खा लिया जाए।
बीते सालो मे निनानबे प्रतिशत संकल्प जो मैने लिए थे सब मुझे मुह चिढ़ा रहे थे। मुझे लगा अगर अपना आत्मविश्वास कायम रखनी है तो अब नया संकल्प लेने के चोचले से बचने होगे।
अब कभी भी नया साल पर कोई संकल्प नही लेने का संकल्प लेकर मै चलती हू।
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