पौधे को स्वस्थ रखने अधिक फल फूल लेने के लिए कांट-छांट करना आवश्यक है।इससे इन्हें उचित धूप ,हवा मिलती है।
(१) प्रूनिग कब करें ?-- पौधे जब सुषुप्तावस्था में रहे तब प्रूनिग करें। काटकांट के लिए शरद ऋतु सबसे अच्छा है। पौधों के पत्ते गिरने के बाद नये पत्ते आने के पहले काटकांट- कर लेनी चाहिए।
(२) फूल-फल वाले पौधे की काटकांट- जब फूल फल देना बंद कर दें उसके बाद करें।
(३) जिस पौधे में नई शाखाओं पर फल फूल आते हैं उनकी कांट-छांट फल फूल आने से पहले करें।
कांट-छांट जड़ और तने की करनी होती है।
(१) जड़ की काटकांट-- पुराने पेड़ जो फल - फूल देते पत्ते और तने फैलते जाए तो जड़ की प्रूनिग कर दें।
कैसे करें-- पेड़ के चारों ओर ४५ - ६० सेंटीमीटर गड्ढा खोद कर जड़ को नंगा कर दें। कांट-छांट कर एक सप्ताह से दस दिन खुला छोड़ दें। फिर उचित खाद मिलाकर गड्ढा को भर दें।
तने की काटकांट- दो तरह से की जाती है।
(१) शिराहीन-- इस विधि में पौधे के ऊपरी सिरे को काट दिया जाता है। पौधे में नीचे अधिक टहनियां निकलती है।
(२) शिराकृतंन-- इस विधि में ने निकलने वाले तने को वे जहां से निकलते हैं वहां से काटकर हटा देते हैं। ऐसा करने से बचें तने को उचित मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं।।
तीसरी विधि--
Ringing Method-- इस विधि में पौधे के चारों ओर रींग के रूप में छाल उतार दी जाती है जिससे ऊपरी भाग में तैयार भोजन नीचे की ओर नहीं जा पाता और उपरी भाग में अधिक खाद्य पदार्थ मिलता है।
नोट-- आपसे अनुरोध है कोई नई जानकारी आपके पास हो तो कौमेट में लिखकर शेयर करें।
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