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तकल्लुफ में आ जाए

         (१)
पैरों में रहे ऐ धरती सदा।
सर पर तेरे आकाश रहे ।

हाथ जब भी उठे,देने के लिए।
पैर जब भी उठे सही राह रहे।

मुस्कुराहट तेरे लव की लाली बने।
पैरों में महावर की लाखों धारी बने।
राधे कृष्ण जैसी जोड़ी तुम्हारी बने।
जो भी देखें वो तेरा कदम चूम ले।
                 (२)
जोड़ना सीखकर, सबको जोड़ते ही रहो।
आसू पोछकर, बूझे चराग जलाया करो।

जो हार बैठे उनका हौसला बुलंद कर दे।
सबकी जिंदगी को तू इक नया मोड़ दे।

गुजारिश है तो तुमसे बस इतना सनम।
अधूरी दुनिया को मेरी मुक्कमल कर दे।
                (३)
मुस्कराती तू रहे हरघड़ी हरपल ।
फूल से लगी पखूड़ियो की तरह।

चाहे कितनी काली अंधेरी रात हो।
तुमको हमेशा अपनों का साथ हो।
                (४)
मेरी दुआओं में हो कुछ ऐसा असर।
ऋतु वसंतीका निमंत्रण मिलती रहे।

पतझड़ का मौसम न आए सनम।
आए भी तो वासंती चूनर ओढकर।
               (५)
बूंलंदी खुद-ब-खुद तेरे चरण चूम ले।
बूंलंदी छूने की तुमको जहमत न हो।

ऋतु वसंती का निमंत्रण मिलती रहे।
पतझर का मौसम न आए कभी।
               (६)
मेरे मुक्तक मेरे लहजो मे हो तरन्नुम ऐसा।
जो भी दुआ करूं सब ही कबूल हो जाए।

मेरी सारी हसरतें इक बार में ही पूरी हो जाए।
बेतकल्लुफ होकर गर तू तकल्लुफ में आ जाए।

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