सुनहु भईया हो हम न जाईब डौलर अब कमाय।
जमीन बेची हमरा के पढएल फौरेन देल पठाए।
सुनहु भईया----
दिन भर औफिस में रहइछौ पीजा बरगर खाएं।
रात में अहासब के फिकर में नींद न हमरो आए।
सुनहु भईया----
परदेश त परदेशे होएतई अपना कईसे ई कहाए।
जेकरा देखू अनजान दिखैछै ऊपर सै मुखौटा लगाए।
सुनहु भईया---
मइया रोबत होईहे परब त्यौहारे बापू दलान पर जाएं।
रोबत होईहे जबे हमर सुगना त उनका कौन समझाए।
सुनहु भईया---
आग लगै इ डौलरबा में रुपए से हम सबके पेट भरी जायत।
अबकी आयब तब फिर नहीं लौटब चाहे करहू कौनो उपाय।
सुनहु भईया---
ई जनतौ तब हमे न पढतौ देश सपन होई जायत।
हमरा सौ त मुरखे नीक छथि अपन ही देश रह जाए।
सुनहु भईया---
जेतना अकल छल लिख समझैलौ समझ जो अपन के आए।
हम हिन्दुस्तानी छी कसम धरती कै हम कतहू न अब जाएब।
सुनहु भईया--
जमीन बेची हमरा के पढएल फौरेन देल पठाए।
सुनहु भईया----
दिन भर औफिस में रहइछौ पीजा बरगर खाएं।
रात में अहासब के फिकर में नींद न हमरो आए।
सुनहु भईया----
परदेश त परदेशे होएतई अपना कईसे ई कहाए।
जेकरा देखू अनजान दिखैछै ऊपर सै मुखौटा लगाए।
सुनहु भईया---
मइया रोबत होईहे परब त्यौहारे बापू दलान पर जाएं।
रोबत होईहे जबे हमर सुगना त उनका कौन समझाए।
सुनहु भईया---
आग लगै इ डौलरबा में रुपए से हम सबके पेट भरी जायत।
अबकी आयब तब फिर नहीं लौटब चाहे करहू कौनो उपाय।
सुनहु भईया---
ई जनतौ तब हमे न पढतौ देश सपन होई जायत।
हमरा सौ त मुरखे नीक छथि अपन ही देश रह जाए।
सुनहु भईया---
जेतना अकल छल लिख समझैलौ समझ जो अपन के आए।
हम हिन्दुस्तानी छी कसम धरती कै हम कतहू न अब जाएब।
सुनहु भईया--
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