मां को वृद्धाश्रम छोड़कर आनेवालो।
बंगले मे कुत्ता पाल गले लगाने वालो।
जन्म लिया तो मां का आंचल ही बस तेरा सहारा था।
तुमको जिन्दा रखने को मां की अमृतवाली छाती थी।
गीले पर सोकर सूखे मे वो तुम्हे सुलाती थी।
तेरी नींदो के लिए सारी रात वो लोरी गाती थी।
पैरो का प्रहार सहकर भी तुम्हे दुग्ध पान कराती थी।
भाषा का ज्ञान दिया तुमको ऊंगली पकड़ चलाई थी।
तेरी हर गलती को अपने अंदर ही छुपाया था।
बुरी नजर से बचाने को टीका काला लगाया था।
पौधो को जल से सींचो तो वह भी संवल बन जाता है।
बरगद बन आज कैसे तुम तुलसी सी मां को भूल गए ।
मां के आंचल मे ही सदा राम कृष्ण पलते आए।
हर मां की सूरत मे देखो तेरे भगवान नजर आए।
तुम्हारी हर नादानी पर मां ने तुमको हँसकर माफ किया।
हर घड़ी बिना बोले तेरा वो दुख-दर्द समझकर दूर किया।
मां की हाथो की बनी रोटी भी प्रसाद बन जाती है।
मां की ममता के आगे तो मौत भी मुह॔की खाती है।
तुमको डांटा भी पुचकारा भी डांटकर छुप-छुप रोई भी।
तुमको युग पुरुष बनाने को मां ने ईश्वर को गोहराया भी।
लाख तीर्थ कर ले कोई पर पुन्य नही मिल सकता है।
लाखो हो बंगला गाड़ी सुख चैन नही मिल सकता है।
मां के आशिर्वाद बिना कोई वरदान कहां फल सकता है।
दूध का कर्ज चुकाए वगैरह कोई जन्नत कैसे पा सकता है।
खुदा का भेजा फरिश्ता है मां घर से मत निकालो तुम।
रूखा सूखा ही देकर चाहो तो लाखों पुन्य कमा लो तुम।
हर खुशी हर सफलता पाने को मां की दही कटोरी ही काफी है।
मां के चरणों में ही मथुरा काशी गिरजाघर और तेरा शिवाला है।
दुनिया की हर मां को मैं तहेदिल से शीश झुकाती हूं।
हे मातृशक्ति नमन लो मेरा कह सबको गले लगाती हूं।
बंगले मे कुत्ता पाल गले लगाने वालो।
जन्म लिया तो मां का आंचल ही बस तेरा सहारा था।
तुमको जिन्दा रखने को मां की अमृतवाली छाती थी।
गीले पर सोकर सूखे मे वो तुम्हे सुलाती थी।
तेरी नींदो के लिए सारी रात वो लोरी गाती थी।
पैरो का प्रहार सहकर भी तुम्हे दुग्ध पान कराती थी।
भाषा का ज्ञान दिया तुमको ऊंगली पकड़ चलाई थी।
तेरी हर गलती को अपने अंदर ही छुपाया था।
बुरी नजर से बचाने को टीका काला लगाया था।
पौधो को जल से सींचो तो वह भी संवल बन जाता है।
बरगद बन आज कैसे तुम तुलसी सी मां को भूल गए ।
मां के आंचल मे ही सदा राम कृष्ण पलते आए।
हर मां की सूरत मे देखो तेरे भगवान नजर आए।
तुम्हारी हर नादानी पर मां ने तुमको हँसकर माफ किया।
हर घड़ी बिना बोले तेरा वो दुख-दर्द समझकर दूर किया।
मां की हाथो की बनी रोटी भी प्रसाद बन जाती है।
मां की ममता के आगे तो मौत भी मुह॔की खाती है।
तुमको डांटा भी पुचकारा भी डांटकर छुप-छुप रोई भी।
तुमको युग पुरुष बनाने को मां ने ईश्वर को गोहराया भी।
लाख तीर्थ कर ले कोई पर पुन्य नही मिल सकता है।
लाखो हो बंगला गाड़ी सुख चैन नही मिल सकता है।
मां के आशिर्वाद बिना कोई वरदान कहां फल सकता है।
दूध का कर्ज चुकाए वगैरह कोई जन्नत कैसे पा सकता है।
खुदा का भेजा फरिश्ता है मां घर से मत निकालो तुम।
रूखा सूखा ही देकर चाहो तो लाखों पुन्य कमा लो तुम।
हर खुशी हर सफलता पाने को मां की दही कटोरी ही काफी है।
मां के चरणों में ही मथुरा काशी गिरजाघर और तेरा शिवाला है।
दुनिया की हर मां को मैं तहेदिल से शीश झुकाती हूं।
हे मातृशक्ति नमन लो मेरा कह सबको गले लगाती हूं।
बोकारो गार्डेन
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