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अब कोई किताब ऐसा लिखा जाए

खुदा की मेहरबानी हो तों मुकद्दर जाग जाता है।
देने पर गर वो आ जाए तो दे दे औकात से ज्यादा।

फिसलन भरी थी जिंदगी हिम्मत का साथ था।
गिरते उठते फिसलते रहे हम तुम आस पास था।

उसकी नेमत से ही चैनो सूकून हासिल हो जाता है।
आंधी तूफान से टकराकर भी कश्ती पार हो जाता है।

अब कोई किताब ऐसा लिखा जाए।
जिसमें चैनो सूकून का जिक्र आए।

सुख दुःख, रोना धोना हो बेअसर ।
ऐसा कोई ज्ञान हमको पढ़ाया जाए।

कुरेद कुरेद कर जिस्म खोखला हो जाए।
ऐ खुदा मन पर कोई आंच न पाया जाए।

जब भी पूछे कोई कैसे है हालात मेरे।
दिल रोय मगर होंठों पे मेरे हंसी आए।

किताबों में मिलेंगे कहां जज्बात मेरे।
जज्बातों को जज्बातों से समझा जाए।
चैनो सूकून का जिक्र आए

मुस्कराती हुई तस्वीरें यूं खामोश सी रहती है।
आंखों में न झांको यू कहीं रुसवा न कर जाए।

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