एक खूबसूरत पत्तो वाला पौधा जो बरगद है। इसे नेशनल ट्री आफ इंडिया भी कहते हैं।
हिंदू में बहुत मान्यता प्राप्त है। महिलाए अपने सुहाग रक्षा के लिए इसकी पूजा करती , धागा बांधती है। इसके पत्ते कटोरीनुमा होते हैं जिसमें पानी डालकर हिंदू अपने इष्टदेव को अर्पण करते हैं।
(१) इस पौधे की उम्र ३०० साल तक भी हो सकती।
(२) यह फाईकस है बोनसाई अच्छी बनती है।
(३) हर प्रकार की मिट्टी में लगा सकते, मिट्टी गमले की हल्की रखें।
(४) कटिंग या बीज से पौधे लगते हैं।
(५) खाद- कोई खास जरूरत नहीं चाहे तो गोबर या पत्ते की खाद दें सकते हैं।
(६) धूप- धूप भी कम हो या अधिक चलेगी।
(७) सावधानी - इसकी जड़ें बहुत फैलती है। दिवार से हटा कर लगाए।
(८) लाभ- चिड़िया, बंदर, तोता चमगादड़ इसके फल खाते हैं।
(९) लकड़ी से दरवाजा बक्सा बनाया जाता है।
(१०) दवा- इसके जड़, तना, पत्ते सभी उपयोग किए जाते हैं। डायरिया, यूरिन दांत में बिमारियों में आयुर्वेदिक मेडिसिन बनती है।
हिंदू में बहुत मान्यता प्राप्त है। महिलाए अपने सुहाग रक्षा के लिए इसकी पूजा करती , धागा बांधती है। इसके पत्ते कटोरीनुमा होते हैं जिसमें पानी डालकर हिंदू अपने इष्टदेव को अर्पण करते हैं।
(१) इस पौधे की उम्र ३०० साल तक भी हो सकती।
(२) यह फाईकस है बोनसाई अच्छी बनती है।
(३) हर प्रकार की मिट्टी में लगा सकते, मिट्टी गमले की हल्की रखें।
(४) कटिंग या बीज से पौधे लगते हैं।
(५) खाद- कोई खास जरूरत नहीं चाहे तो गोबर या पत्ते की खाद दें सकते हैं।
(६) धूप- धूप भी कम हो या अधिक चलेगी।
(७) सावधानी - इसकी जड़ें बहुत फैलती है। दिवार से हटा कर लगाए।
(८) लाभ- चिड़िया, बंदर, तोता चमगादड़ इसके फल खाते हैं।
(९) लकड़ी से दरवाजा बक्सा बनाया जाता है।
(१०) दवा- इसके जड़, तना, पत्ते सभी उपयोग किए जाते हैं। डायरिया, यूरिन दांत में बिमारियों में आयुर्वेदिक मेडिसिन बनती है।
1 Comments
Great
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