जाने कहां कब कैसे मेरा बचपन खो गया।
वस्ता बढता रहा पीठ पर कंधा धस गया ।
दादी दादाजी जब भी आनलाइन आतेे है।
छोड़कर कार्टून हम चेहरा दिखाने जाते है।
मुझे दादा दादी का चेहरा भी अनीमेटेड सा लगता है।
प्यार भरी बाते उनकी फेसबुक लाईक सा लगता है।
कार्टून मे क्या रखा ही क्या है ? पंचतंत्र तुम पढा करो ।
दादा दादी फोन पर है सुनकर मुझको डर सा लगता है।
पंचतंत्र पढने जाऊ तो कार्टून मुझे खींच लेता है।
देने को न कुछ हो पास मगर डाटा खींच वो लेता है।
डाटा खत्म होते ही मम्मी की डांट सुनने को मिलती है।
पास न होगा इसबार
पापा दादी से मम्मी नानी से कितनी बाते करते है।
मुझे बात करते देख दोस्तो से क्यू चिढ़ा वो करते है।
मेरे दर्द को वो क्या जाने जो गुड़ियो से खेला करते थे।
गुल्ली डंडा हो या पतंग हो कहां डाटा गवाया करते थे।
कैसा रहा होगा उनका बचपन बिना इंटरनेट जो जन्मे थे।
फेसबुक ह्वाटसऍप और गुगल बिना कैसे वो जिंदा रहते थे
वस्ता बढता रहा पीठ पर कंधा धस गया ।
दादी दादाजी जब भी आनलाइन आतेे है।
छोड़कर कार्टून हम चेहरा दिखाने जाते है।
मुझे दादा दादी का चेहरा भी अनीमेटेड सा लगता है।
प्यार भरी बाते उनकी फेसबुक लाईक सा लगता है।
कार्टून मे क्या रखा ही क्या है ? पंचतंत्र तुम पढा करो ।
दादा दादी फोन पर है सुनकर मुझको डर सा लगता है।
पंचतंत्र पढने जाऊ तो कार्टून मुझे खींच लेता है।
देने को न कुछ हो पास मगर डाटा खींच वो लेता है।
डाटा खत्म होते ही मम्मी की डांट सुनने को मिलती है।
पास न होगा इसबार
पापा दादी से मम्मी नानी से कितनी बाते करते है।
मुझे बात करते देख दोस्तो से क्यू चिढ़ा वो करते है।
मेरे दर्द को वो क्या जाने जो गुड़ियो से खेला करते थे।
गुल्ली डंडा हो या पतंग हो कहां डाटा गवाया करते थे।
कैसा रहा होगा उनका बचपन बिना इंटरनेट जो जन्मे थे।
फेसबुक ह्वाटसऍप और गुगल बिना कैसे वो जिंदा रहते थे
2 Comments
Masti aur chuhalbaji se bhari Jindgi hua Katti this. Really nice depiction.
ReplyDeleteMasti aur chuhalbaji se bhari Jindgi hua Katti this. Really nice depiction.
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