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#वह आएगा तो भी क्या पहचान पाएगा हमें#

कहां विश्वास है
खामोशी भरी नजरे भी मुस्करा गई।
हवा का रुख मेरी ओर जो आ गई।

आज मेरे दिल मे ना कोई तनाव है।
लगता है कोई जैसे मेरे आसपास है।

आने को वह आ जाता मेरे शहर में।
खोया हुआ है वह खुद की तलाश में।

खोया हुआ है वह खुद की तलाश मे।

हंस न सके हम तो बस मुस्करा दिए।
सारे जहां को इस पर भी एतराज है।

आंखो मे अश्क भी न आते बार-बार।
उससे क्यू आज भी हमको लगाव है।

चोरी गए कुछ तो कुछ अर्थहीन हो गए।
सपनो की हमको अब भी क्यू तलाश है।

जो साथ थे वो छोड़कर आगे निकल गए।
लौटकर आएगे बला ए वक्त मे विश्वास है।

मै तो शायद अब पत्थर का हो गया।
दिल मे न अब कोई जलता अलाव है।

वह आएगा भी तो क्या पहचान पाएगा हमे।
दिल के हां कहने पर भी कहां हमे एतबार है।

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