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पन्ने फाड़ रोने चले अब हम सोने चले

(1)
एक अनजाना सा रिश्ता बना दिया यूं ही कबूतरों ने।
खत को जाना कहीं था कहीं पहुंचा दिया कबूतरों ने।

(2)
गर्दिश में हो जब सितारे खत गलत पते पर पहुंच जाते हैं।
आदम कद के पास जाने से हमारे कद बौने नजर आते हैं।

(3)
यह गर्दिशों के दिन है एक दिन ऐ भी गुजर ही जाएंगे।
सुनहरे पल आते ही अर्थहीन शब्द भी अर्थ पा जाएंगे।

(4)
अब कहानी मोड़ ले ली अब हम सोने चले।
जिंदगी की किताब के पन्ने फाड़कर रोने चले।

(5)
काश जो मिलता फिर जिंदगी भर वो छीनता नहीं।
जो जन्म लेता है क्यो मरता एक दिन यह है सही।

(6)
जिंदगी तुझे जाना समझा तो ए बात समझ में आई ।
जिंदगी में हर जगह हर क्षण कुछ ना कुछ तो पंगाई ।

(7)
प्यार मोहब्बत रिश्तो की शराफत में भी धोखा खाई है।
सवाल- जवाब की उलझन में आंखों की नींद गंवाई है।

(8)
थक गया हूं अब बहुत ऐ जिन्दगी
अपनों की अपनापन से
आंखों के अश्रु छुपाने से
रिश्तों की शराफत से
अंदर की खामोशी से
दर्द-ए-दिल समझाने से
टूटते सपने उम्मीदो से
(9)
जो भी मिलता है कुछ दिन अच्छा लगता है।
जो कभी मिलता है एक दिन वह छिनता है।

कभी-कभी इंसान सच में थक जाता है खामोश रहते-रहते।
अपनी कही जानेवाली जिन्दगी औरो के लिए जीते- जीते।

अब ना दूँगा कोई भी जबाब तेरे सवालो का।
अब हर जबाब होगा केवल मेरे सवालो का।









Ab Ham sone chale

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