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५#ऐसी भी क्या मजबूरी है#घर से निकलना जरूरी है?

ऐसी भी क्या ? मजबूरी है।
घर से निकलना जरूरी है ।

देखो पूछता है तुमसे घर तेरा।
तू न होगा तो क्या होगा मेरा।

दूर से प्यार और रिश्ते निभाए जा सकते है ।
हाथ पकड़कर गले लगाना क्या जरूरी है?

इन दिनों बाहर की हवा जहरीली है।
घर में रुकना जिन्दगी के लिए जरूरी है।

जिदंगी खुदा की दी हुई अमानत है।
संभाल कर रखो लौटाना जरूरी है।

मटरगश्ती न काम तेरे आएगी।
बैठे बिठाए जान चली जाएगी।

न अर्थी ना जनाजे न कंधे पर किसी के तू जाएगा।
इस माहौल में कौन कब्रिस्तान साथ तेरे जाएगा।

क्या जल्दी है यारा कब्रिस्तान या श्मशान में घर बनाने की।
अच्छे वक्त भी आएगे नाचने गाने जमकर खुशिया मनाने की।

चलो चलकर बैठे अपनी - अपनी नाराजगी कह ले।
फैसले जो भी हो सह लें, दरम्यान दूरिया कम कर लें।

पाबंदी मैं नही लगाती तेरे गलियो में भटकने पर।
खुद पर पाबंदी तू खुद लगा तेरे दिल के कहने पर।

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