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तेरी लाज रखने को मैं कुछ लिख नहीं सकता


निनान्बे गलती माफ करें कृष्णा वह कहलाता है।
मैं कर्ण बनकर गलत में तेरा साथ निभा नहीं सकता।

यह वह दौर है जिसमें आदमी आदमी से डरता है।
जो खुदा से डरता है वह किसी से डर नहीं सकता।

यहां हर एक इंसान अपने आप को खुदा समझता है।
जो खुद को खुदा समझ बैठे किसी का हो नहीं सकता।

बुरा हूं मैं या भला हूं कहो तुमको इससे है मतलब क्या?
तुम्हें बस मतलब से मतलब है मैं तुमसे लड़ नहीं सकता।

मैं बुरा या भला नहीं बस यह वक्त का तकाजा है।
मैं तिजारत कर सकता हूं मोहब्बत कर नहीं सकता।

मरने वाले मरे तुम पर, मैं तुम पर मर नहीं सकता।
मैंने न चाहा है तुमको, न किसी और को चाहूंगा।
मोहब्बत में मिले जख्म भरने हैं मैं आहें भर नहीं सकता।

मुझे गाहे-बगाहे तेरी याद सताने आ ही जाती है।
तेरी याद को मैं दिल से बाहर कर ही नहीं सकता।
मैं अपनी हद में रहता हूं इससे बाहर जा नहीं सकता।


तूने ना चाहा भले मुझको मैंने तो तूझे दिल से चाहा था।
मोहब्बत में मिले जख्म भरने हैं मैं आहें भर नहीं सकता।
खुश हूं या दुखी हूं तुझको खोकर कुछ कह नहीं सकता।


ना जाने आदमी क्यों आदमी से खौफ खाता है।
यहां हर एक ने अपने चेहरे पर नकाब पहनी है।
तुमको यहां असली चेहरा दिखाई पड़ नहीं सकता।

हुस्न के बाजार में हुस्न बिकता है बिक जाए।
इश्क कभी भी बाजार में बिक नहीं सकता।
मोहब्बत रौनकें बाजार कभी वन नहीं सकता।

पढ़ने को तो उसके जिंदगी की किताब खुली पड़ी है।
भरे आंसू है मेरी आंखों में, मैं उसे पढ़ नहीं सकता।

मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे में हजारों फरिश्ते पड़े हैं।
औरों के हित इनमें से कोई सूली चढ़ नहीं सकता।

वैसे तो हर दिन और रात तेरी यादों में गुजरते हैं।
मैं तेरा दीवाना हूं तुमको यह मैं कह नहीं सकता।

लिखने को तो लिख दूं मैं ढेरों शेरो शायरी तुम पर।
तेरी लाज रखने को मैं कुछ भी लिख नहीं सकता।  
मैं अपनी हद में रहता हूं मैं आगे बढ़ नहीं सकता।   
 


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