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मैंयकशी का मजा बिन पिए ही मुझको आ गया

                     (१) 
मयकशी का मजा बिन पिए ही मुझको आ गया।
आईना देखा तो चेहरा मेरा नहीं उसका आ गया।
आईने को आज एक नया तजुर्बा हासिल हो गया।
आईना भौंचक सा था यह कैसा हादसा हो गया।
मैं भी हैरान हो गया उसे मेरा ख्याल कैसे आ गया।
                       (२)
गुजरे वक्त के वह दोस्त दोबारा मिलते नहीं।
मिलने को तो मिल जाएंगे सफर में हजारों।
बचपन में खोए वह दोस्त पुराने नहीं मिलते।
मुस्कुराने लगे हैं अब हम तो बात बात पर।
खिलखिला कर हंसने के बहाने नहीं मिलते।
मेरे दिल की मायूसी मुझे भौंचक सी तकती रही।
होठों की हंसी आंखों के आंसू मैं खुद को ढूंढती रही।

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