जाने क्यों आज फिर मन मेरा बेचैन है।
एक उजड़ा घोंसला फिर मेरे करीब है।
वह परिंदा न जाने कहां उड़ गया ऐ दोस्त।
जिसके तमाम उम्रके मेहनत का सबूत है।
कोई वज़ह होगी ऐसे कोई घर छोड़ता है क्या?
ऐसे माहौल में घर से कोई निकलता है क्या?
दर्द से दर्द होता तो अच्छा था खुशी से दर्द मिला होगा।
बीना जुर्म किए बेगुनाही का सबूत ढूंढने निकला होगा।
दिल का जख्म छुपाने का और भी तो कोई तरीका होगा।
तेरा नाम लिख -लिखकर उसने बार -बार मिटाया होगा।
दिल का दर्द उसका शायद इस कदर बढ़ गया होगा।
किसी कंधे का सहारा ढूंढने घर से निकल गया होगा।
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