सफर छोटा सही जो तेरे साथ गुजरी है।
यादगार बन गए वो क्षण तेरे साथ गुजरे हैं।
जन्म लेते ही खुदारा जिंदगी जीने लगे थे हम।
जीने का सलीका उससे मिलने के बाद सीखे हैं हम।
जिंदगी होती है क्या तेरे जाने बाद सीखे हैं हम।
हाथ में मेरे डिग्रीया पढ़ाई में हुई खर्चों की रसीदें हैं।
आज जो कुछ भी है हम वह अनुभव की लकीरें हैं।
दांत नहीं है शब्दों के फिर भी वह काट खाता है।
शब्दों से बने घाव दिल में गहराता हीं जाता है।
नाम में जी लगाने से इज्जत भले बढ़ जाती है।
तेरा नाम में मेरे जी लगाना मुझको ना भाता है।
सूखी रोटी खाने वालों को घी पच ना पाता है।
कोई कितना ज्ञानी है डिग्री देखने से होगा क्या।
चाल ढाल पहनावे में सबका व्यक्तित्व झलकता है।
इन्सान को बोलना सीखने में भले कई साल लगते हैं।
बोलना क्या है यह सीखने में सारा उम्र लगता है।
यादगार बन गए वो क्षण तेरे साथ गुजरे हैं।
जन्म लेते ही खुदारा जिंदगी जीने लगे थे हम।
जीने का सलीका उससे मिलने के बाद सीखे हैं हम।
जिंदगी होती है क्या तेरे जाने बाद सीखे हैं हम।
हाथ में मेरे डिग्रीया पढ़ाई में हुई खर्चों की रसीदें हैं।
आज जो कुछ भी है हम वह अनुभव की लकीरें हैं।
दांत नहीं है शब्दों के फिर भी वह काट खाता है।
शब्दों से बने घाव दिल में गहराता हीं जाता है।
नाम में जी लगाने से इज्जत भले बढ़ जाती है।
तेरा नाम में मेरे जी लगाना मुझको ना भाता है।
सूखी रोटी खाने वालों को घी पच ना पाता है।
कोई कितना ज्ञानी है डिग्री देखने से होगा क्या।
चाल ढाल पहनावे में सबका व्यक्तित्व झलकता है।
इन्सान को बोलना सीखने में भले कई साल लगते हैं।
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