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दूसरे के लिए नहीं खुद के लिए |
अनकहे शब्द जो कहे और सुने नहीं जा सके। वह अधूरी माफ़ी जिसे आपने भविष्य के लिए बचाकर रखा है। वे क्षण जिनके बारे में हमने सोचा था कि हमारे पास और समय होगा।
हमारी भूल है, ज़िंदगी हमें हर पल याद दिलाती है कि कल का वादा नहीं किया गया है।
कुछ भी अधूरा न छोड़ें कल के भरोसे। कहें "मुझे माफ़ कर दो। कह दें "मैं तुम्हें माफ़ करता हूँ।"
जिसकी याद आती है कहें "मुझे तुम्हारी याद आती है।"
अपने दिल को शांति से वंचित नहीं रखें। यदि आप अपने अंदर ही गर्व, डर, या ज़िद के कारण चुप रहते हैं तो आप ग़लत कर रहे हैं।
ऐसा ना हो बाद में आपको पछताना पड़े। पछतावे का बोझ किसी कठिन बातचीत के बोझ से कहीं भारी होता है, साथ ही तमाम उम्र रहता है।
हमेशा हमें लगता है कि हमारे पास और समय होगा। ऐसा होता नहीं। समय हाथ से निकल जाने पर हम केवल एक और मौका चाहते हैं कि सब कुछ ठीक कर सकें, बस एक मौका और मिल जाए।
अगर कुछ कहा जाना बाकी है, तो कह दें। अगर कोई पुल टूट चुका है, तो उसे जोड़ दें। यदि प्यार अभी भी बाकी है, तो उसे दिखाएं। आपको नहीं पता कि यह आपकी आखिरी कोशिश कब होगी।
कभी भी कौन सही है ? कौन ग़लत? इसमें नहीं उलझें।
अंत मे सही या ग़लत नहीं मायने रखता है किसने पछतावे की जगह रिश्ते या प्यार को चुना ही मायने रखता है।
आप ही अपनी सोच को बदल सकते हैं अपने अंहकार से बाद में पछतावे से बच सकते हो।
यदि कर सकते हैं चीजों को ठीक कर लें, कोई दूसरा आपकी इसमें कोई सहायता नहीं कर पाएगा।
साथ ही बाद में आप रोकर, भूखा-प्यासा रहकर अपने आप को चोट पहुंचा कर, या अवसाद में जाकर भी इस पछतावे से भाग नहीं पाएंगे।
आपको इसे सहन करना ही होगा। आपको इसे जीना होगा, इसे प्यार करना होगा, इसे पीछे छोड़ना होगा और बेहतर बनना होगा।
आपको इसी बोझ के साथ जिसे आपने समय पर अपने सिर से नहीं उतारा था। खुशहाल सपनों की दिशा में दौड़ना होगा, उस पुल पर जिसे ठीक करने की आपकी इच्छाशक्ति ने बनाया है।
आपकी सुगंध भी आपकी, न चंदन की न धूप की, न कमल की न चमेली कि आपकी बुद्धिमत्ता की सुगंध होगी।
जो आपने * आपने किसी को माफी देकर* या *माफी मांगकर* अर्जित की है।
आपकी यह अंहकार त्याग, माफ़ करने की प्रवृत्ति आपको ऊंचे दिव्यता तक ले जाएगी।
अतीत कुछ भी रहा हो, अज्ञानता वश जो भी गलतियाँ की गई हों, चाहे जिस अज्ञान में जिया गया हो, हर कोई अपने भीतर एक परम पवित्रता को लिए हुए है, जो कि अपने आप में अद्भुत ज्ञान में बदल सकती है।
मूल बात यह है कि उसी के बारे में सोचें, उसी पर ध्यान केंद्रित करें,और सभी कठिनाइयों और बाधाओं की चिंता न करें, औरों की खुशी में अपनी खुशी को तलाशें।
माफ़ करना, माफी मांगना सीखें अपने लिए दूसरों के लिए नहीं अपने लिए अपने मन की शांति के लिए।
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