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Chuppi ko tumne aant maine viram mana

 


Khirkiya kholo tazi hawa aaye

चुप्पी को तुमने अंत मैंने विराम माना।
रिश्ते दूर रह कर भी ठहराव लाते हैं।

शायद चुप्पी कोई नई रोशनी लेकर आए।

खामोश मिट्टी में पड़ा बीज जीवन पा जाए।


भावुकता सृजनशीलता में बदल जाए।

रिश्ते की परिधि मुखौटा जब भूल जाएं।


खिड़किया खोलते ताज़ी हवा का झोंका आएं।

जिंदगी चलों अब खुद ही मौसम सजाए।


दरवाजा खोल भविष्य को तलाशा जाए।

अधूरे संवाद को पूरी बात बनाया जाए।


रिश्ते सजावट से ज्यादा सच्चाई मांगते।

संवेदनशील मन हमेशा ही गहराई चाहते।


चलो अब सीमाओं को थोड़ा और तोड़ते हैं।

खामोश निगाहों की तूफानी गूंज समझते हैं।


जिंदगी आओ अब आत्म-संवाद करते हैं।

रिश्तों के आईने खुद को देखना सीखते हैं।


अपने अनुभव, यादों से शुरुआत करते हैं।

कैक्टस के चुभन में हंसकर जीना सीखते हैं।


एक नया किरदार लेकर नई कहानी बुनते हैं।

खट्टे-मीठे अनुभव से वहीं से शुरुआत करते हैं।

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