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Jang mujhe kabool hai

 

Najuk samjhana teri bhul hai 

ऐ ज़िंदगी, तू जंग है तो,

तेरा जंग मुझे कुबूल है।


फूल-सा नाज़ुक समझना,

मुझको यह तेरी भूल है।


है हौसला फौलाद मेरा,

जिसे तू तोड़ पाएगी नहीं।


अवरोध को अवसर बनाना,

 हमेशा से रहा मेरा उसूल है।


खुशियाँ रूठीं हैं तो उन्हें मना लूंगा,

ज़ख्मों पर मरहम खुद लगा लूंगा।


बस तू साथ निभाते रहना ज़िंदगी,

मैं हर आंख से आंसू चुरा लूंगा।


ओठों के भीतर आंसू छुपाकर,

हर मुश्किल को पार कर लूंगा।


तुम तो बस देखती जा ऐ ज़िन्दगी

हर चुनौती का सामना कर लूंगा।

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