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आया था कौन ?


है फिजां में खुशबू सी फैली, इसतरफ आया धा कौन ?
सारी कलियाँ झूम रही है , राग सुना गया था कौन ?
घर में इतनी रोशनी है , दीपक जला गया था कौन ?
जख्म सारे मिट रहे है मेरे, मरहम लगा गया था कौन ?

दिल क्यू इतना सुूकून में है मेरा, माफी दे गया है कौन ?
मन क्यूँ इतना शांत है मेरा , बोझ उठा लिया है कौन ?
सारी रात मैं चैन से सोया , बिस्तर लगा गया धा कौन ?
दूत को भेजा था या फिर, खुद चला आया था कौन ?

खामोशी बताती नही कुछ,  फिर मुझको बतलाएगा कौन ?
सपना था या कोइ हकीकत,फिर मुझको समझाएगा कौन ?

दोस्तों मेरे कब्र पर आकर आँसू चढा गया कोई ?
मेरे कब्र पर आँसू चढा , मुमबती बुझा गया कोई ?
इस तरह से अपना रोता , चेहरा छुपा गया कोई ?
बैठकर मेरे कब्र पर सब , दास्ता सुना गया कोई ?

जाते-जाते कोरा कागज, कलम पकङा गया कोई ?
लिखती रहूँ, शिकवो-शिकायतों का कोई खत उसे?
शिकवो -शिकायत से मेरा,जो बेखबर सा था सदा रहा ।
जिसको नफरत सी रही मुझसे, जो बेवजह ही डरा रहा।

मेरे समझने से क्या होता , मैं थी ही कहाँ उसके अपनो में?
दोस्तो समझा दो तुम उसको,इस कदर नहीं रोया करते है ।
लाख हिलाए कब्रों को कोई बन्दा, मुर्दे नही जगा करते है ।
 खुश रहो सदा आबाद रहो तुम बस यही दुआ दिया करते है।
                                  नगीना शर्मा





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