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भूत

भूत होते या नहीं होते ? इस प्रदशर्न का उत्तर मुझे आजतक नहीं मिला । सोचती हूं अगर भूत होते हैं तो वह केवल मेरे देश में ही कर्मों रहते ? इंग्लैंड ,अमेरिका या कोई और देश में कर्मों नहीं ? फिर लगता शायद हमारा भ्रम है भूत जैसी किसी कोई चीज नहीं होती । जैसे ही यह विचार आते बचपन की घटना याद आ जाती और दिल भूत के अस्तित्व से इंकार नहीं कर पाता ।
याद आते हैं बचपन के वो दिन जब पिताजी के भाईयों में बटबाड़ा हो गया था और माॅडल को गाॅव में रहना पड़ता था । पिताजी ,भाईजी और हम तीनों बहनें शहर में पढ़ाई कर रहे थे।बड़ी बहन और मेरी छोटी बहन को खाना बनाने का बहुत शौक था । इसका मतलब साफ था, पिताजी के नजरों में ,वे अक्सर कहा करते थे पढ़ने से बचने के लिए दोनों खाना में लगी रहना चाहती है । अपनी बात कुछ निराली थी मुझे खाना बनाने में एकदम मन नहीं लगता था।आज सोचती हूं तो अजीब लगता है ।
अब भूत की तरफ बढ़ते हैं अपनी रामकहानी तो चलती रहेगी । मेरे मामा का लड़का शहर के काॅलेज में एडमिशन लिया ,मामा का लड़का यानि माॅडल का भतिजा । अभी का समय होता तो उसे हॉस्टल में रहना होता परन्तु पहले ऐसा नहीं होता था। बुआ का पूरा परिवार है तो फिर चिन्ता कैसी ? मेरे पिताजी तो पूरे गॉव के लोगों के लिए धर्मशाला खोल रखे दें। यह मैं नहीं मेरी मॉम कहा करती थी जिन्हें सबके लिए खाने बनाने पड़ते , सबकी सेवा करनी पड़ती थी । अक्सर इस बात को लेकर मॉडल की चींकचींक होते देखा था । पिताजी मेरे आदर्श रहे हैं मुझे बुला लिया मॉडल क्यों डांटती है पिताजी को , इतने अच्छे इन्सान है सबको अपना समझकर तो बुलाते हैं अपने यहां । और फिर लोग दो - चार दिन में चले जाते हैं मुझे लगता था मॉ कितनी बुरी है । आज समझ रही आठ आदमी के परिवार में दो-तीन और आ जाए तो खाना बनाने खिलाने में करता हालत होती होगी उनकी ? आजकल तो पतिदेव भी सहायता कर दिया करते हैं पहले ऐसा नहीं था ।
मॉ मामा के लड़के के यहां आकर रहने से कैसे खुश हो सकती है समझ नहीं पा रही थी । बहुत कुछ हमें समय समझा देता है उम्र के साथ समझ भी बढ़ती है । अब समझ लग रही मामाजी का संबंध मॉ के नैसर्गिक यानि पीहर से था , सबको अपना पीहर और पीहर के कुतरते भी प्यारे होते हैं।
हम सभी को मामा के लड़के का यहां रहना पसन्द नहीं आया । बैठे बिठाए एक और भाई का धौंस ,खासकर मेरी दोनों बहनों को एक और गानेवाला जो मिल गया था । मेरे यहां रहने के लिए कमरे की कमी नहीं थी एक पिताजी का ,एक भाई का,एक बड़ी बहन का एक में मैं और मेरी छोटी बहन । मामा के लड़के को पीछे तरफ का कमरा दिया गया जहां एक गली से होकर बाथरुम था । सबकुछ ठीक ही चला कुछ दिनों तक फिर हुआ भूत का प्रकोप शुरू जिसे मुझे आपसे शेयर करनी है । सबेरे - सबेरे मेरे ममेरे भाई ने आकर एक कहानी सुनाई कहानी इसलिए कह रही हूं क्योंकि हममें से किसी ने उसपर विश्वाश नहीं किया । कहानी कुछ इस प्रकार थी ‌।
फूफा जी सबेरे मैं बाथरूम से आया तो खिड़की पर एक बॉडी में लगाने का साबुन पड़ा था, मैंने उसे देखकर समझा कोई यहां रखकर भूल गया है ,जिसका होगा लेकिन जाएगा ,ऐसा सोचकर मैं घर के अंदर रख दिया । उसे किसीने खोजा नहीं दूसरे दिन फिर वैसा ही हुआ, आज तीसरे दिन भी जब वहीं घटना हुई तो मैं डर गया ,सोचा आपको बता दूं । पिताजी जिन्हें इन बातों पर कोई यकीन नहीं था ,हॅसते हुए बोले चलो अच्छा है अब साबुन नहीं खरीदने पड़ेंगे । हम तीनों बहनों ने भी खूब मजाक किए । बड़ी बहन ने तो यहां तक कह दिया ,कल आकर कहेगा मेरे देह में साबुन लगा रहा था । लगता है ज्यादा पढ़ने से इसका दिमाग खड़ाब हो गया है।
दूसरे दिन जब वह आया तो कांप रहा था । हम सभी बहनें भी श्री कहानी सुनने के लिए बेचैन थे । पिताजी को बुलाया आते ही उन्होंने पूछा सब ठीक तो है कैलाश घबराए क्र्यू हो ।पहले बैठो फिर बताओ क्या बात है। वह कांप रहा था हम सभी चुपचाप सुन रहे थे ।आज की घटना कुछ यूं थी--फूफाजी मैं रात में सोया हुआ था कोई सुन्दर सी औरत सफेद लिवास में आई आकर मेरे सारे चीजों को सलीके से सजा दिया । मुझे लगा मैं सपने देख रहा हूं मैंने अपने हाथ में चींकोटी काटकर देखी ,मैं जगा था । फिर वह चुपचाप चली गई । फूफाजी मुझे डर लग रहा है मैं अब यहां नहीं रहूंगा । यह कहते-कहते वह रोने लगा । पिताजी उसे बहुत देर तक समझाते रहें रात में अपने कमरे में सोने का आश्वासन दिया ।
फिर वह रात में पिताजी के कमरे में दो - तीन दिनों तक सोता रहा । इस बीच कोई घटना नहीं घटी । अब हमें लग रहा था यह सब उसका बहाना था वह पीछे वाले घर में नहीं रहना चाहता था इसलिए सारा नाटक किया । बड़ी बहन जो चिढ़ती थी उनसे कहा , इसको अपने खूबसूरत होने पर बहुत घमंड है , लड़की इसपर मर्ती हैं, इसके पास आती है ,लेकिन मुझे उसपर विश्वास होने लगा था साथ ही सच कहूं तो डरने लगी थी मैं।
बात छुपी नहीं रही मेरी मॉम और उनके भाई यानि मामा जी तक पहुंची । फिर खोज शुरू हुई एक ओझा कि जो भूत भगा सकते।
अब जो वाकया सामने आया वह इतना डरावना है कि करता कहूं ? रात का समय हम सभी अपने- अपने कमरे में सो रहे थे किसी औरत के रोने से मेरी नींद खुली । आवाज़ किसी औरत की लग रही थी वो बबुआ,बबुआ,बबुआ हो बबुआ कह कर रो रही थी । घड़ी पर नज़र डाली रात के दो बज रहे थे। मैंने अपनी छोटी बहन को उठाया पूछा करता तुम भी आवाज सुन रही हो, वह तो इतना डर गई थी मुंह से आवाज़ नहीं निकल रही थी ,सहमती में उसने अपना सर हिलाया । इतने में दरवाजे पर धपधपाहट की आवाज़ सुनकर तो मारे डर के कलेजा मुंह को आ गया । किसी तरह हम-दोनों ने हिम्मत जुटाई और दरवाजा खोला तो सामने मेरी बड़ी बहन थर-थर कांपे रही थी ,वहीं आवाज़ उसने भी सुनी थी ।
अब हमारी वारी थी पिताजी को रात की सारी बताई हमने लेकिन पिताजी कहा माननेवाले थे ।उन्होंने कहा कोई रोक रही होगी तुमलोग ऐसे ही डरती हो । मैं पिताजी से बात नहीं करती थी, लेकिन मेरी दोनों बहनें उनसे मुंह लगी थी । दोनों बहनें घंटों बहस करती रही और पिताजी समझाते रहे भूत-बूत कुछ नहीं होता सब मन का वहम है । दिन बीता फिर रात आनेवाली थी हम तीनों ने एक ही कमरे में सोने का निश्चय किया । हम तीनों बिछावन पर पड़े थे लेकिन नींद किसी के आंखों में नहीं ।घड़ी की सूई बढती रही हम सभी डरे डरे से पड़े थे ।ठीक रात के एक बजे फिर से वही रोने की दर्द भरी आवाज़ और सुनने वाले हम तीन । पिताजी के कमरे तक जाकर उन्हें उठाने की हिम्मत नहीं थी हममें।
आज जब हमने अपनी आपबीती सुनाई तो पिताजी भी चिन्तीत दीखे । मुहल्ले में पता लगवाते रहे कहीं कोई घटना तो नहीं हुई है। आज फ्लैट में एक दूसरे के की हालात हमें पता नहीं होती पहले मुहल्ले या गांव में कुछ हो तो सभी को जानकारी रहती थी। ऐसा कहीं कुछ नहीं हुआ सुनकर पिताजी भी थोड़े समय गए थे । घर से मॉ को लाने के लिए आदमी भेजा गया ।
अब मॉडल और मामाजी एक ओझा ( भूत भगाई) को लेकर आ गए। घर में भूत भगाने का अभियान शुरू हुआ । कभी पाठ कभी मंत्र कहीं हवन, कहीं धुआं बहुतों अभियान चल रहा था । ओझा ने बताया कोई अच्छी आत्मा है अपने बच्चे को ढूंढ रही है। यह कोई बुरी आत्मा नहीं है लेकिन मंगानी तो पड़ेगी ।
अब यह आत्मा थी किसकी तो मैंने आपसे बताई थी पिताजी की आदत थी वो सबको सहायता किया करते थे । मेरे गॉव की एक भाभी थी , जिन्हें लड़के का बहुत इंतजार था। पांच लड़कियां थी । लड़का के जन्म के समय ही उनकी किडनी खराब हो गई थी। ईलाज के लिए उन्हें मेरे घर में महीनों रहना पड़ा था। लेकिन वह बच नहीं पाई और अपनी पॉलिसी च बेटियों और दूध पीते बेटे को छोड़ गई थी ।
ओझा जी ने एक धागे की रील मंगाई उसमें एक सूची लगाए उस लड़के को मनाया गया कि अकेले सोए ताकि वो जो तथाकथित भूत है आ सके। बहुत समझाने पर वह तैयार हुआ । बात बनी नहीं वह भूतनी नहीं आई। जैसा कि मुझे याद है चौथे दिन वह आई ,वह लड़का तैयार था उसने भूतनी के कपड़े में सूई लगा दी । भूतनी के जाते ही वह दौड़कर आया और पिताजी ,को उठाया कहा मैंने सूई कपड़े में लगा दी ।पिताजी ओझा से पूछे अब क्या करना है। ओझा ने कहा भूतनी को धागे के सहारे पकड़ने होगें । चार बजे सभी धागा के सहारे जाते -जाते तीनों पिताजी ,ओझा जी और वह लड़का तीनों श्रमदान पहुंच गए । वहां एक  हड्डी पड़ी थी जिसे जला दिया गया।
फिर उसके बाद कहीं कोई भूत नहीं आया । अब सवाल है क्या मरने के बाद कुछ आत्माएं भटकती है करता ? भूत होते हैं या नहीं ? नहीं तो घर से श्रमदान तक धागा गया कैसे ? भूत सांसारिक चीज जैसे साबुन लगा सकते हैं करता ? भाभी को जलाया गया पहलेजा घाट में फिर उनकी आत्मा उस शहर के श्रमदान में मिलती है जिस शहर में उनकी मौत हुई थी। क्या जलाने के लिए केवल शरीर पहलेजा घाट गया था आत्मा यही रह गई ? 

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