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क्षणिकाएॅ

मैं इक अर्शे से था जगा हुआ
उसके कंधे पर जो सो गया
मुझे देखकर सोया हुआ
वह रात भर जगा रहा।

जड़ें आसमां से निकालकर जमीन में गाड़ना
आसान नहीं है ऐ ,ज़िन्दगी तुम्हें सम्भालना ।

खुद से पैरों के कांटे निकालना
 अच्छा होता है ।
कितना दर्द सह सकते हो आपको
पता होता है ।

अकारण कोई हॅसे या रोए तो उसे टोका न करो।
मवाद निकलने पर ही अक्सर  जख्म भरा करते है।
                                    नगीना शर्मा

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