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रोबोट /आदमी

आदमी के दुख का कारण
दिल दिमाग की रस्साकसी के सिवा कुछ भी नही ।
दिल जो कहता दिमाग उसको कभी मानता ही नही ।
दिमाग के कहने पर दिल ,कभी अमल करता ही नही।
बस इन दोनों के खींचातानी से ,इन्सान यहाँ परेशान है ।

यह दुख दर्द ,यह परेशानी ,सब खुदा की गलती का परिणाम है ।
खुदा के बनाए हुए इन्सान, में कुछ न कुछ  तब्दिली मुनासीब है ।

दिल दिमाग में एक ही जैसा चिप्स लगाया जाए ।
चलो चलकर इन्सान को अब रोबोट बनाया जाए।
दिलो - दिमाग दोनों में जब एक ही चिप्स होगे ।
दिल की हर बात को ,दिमाग सही मानेगा ।
दिमाग का कहा दिल, न कभी टालेगा ।

दिलों -दिमाग  में एक ही चिप्स लगाने के बाद ।
एक दोस्त मिलने आया  मुझसे मुद्दतों के बाद ।

इस दोस्त को देखते ही क्यू न जाने नफरत सी मुझे होने लगी ।
देखा तो मेरे अजीज दोस्त नाम में, नफरत ही फीड थी पङी ।
कहा ऐ दोस्त तेरे चिप्स में मैंने गलती से नफरत ही डाली है ।
अब जो गलती हो गई उसे किसी तरह सुधारा जा सकता नही।

अब ऐसा कर तू भी जल्दी से रोबोट बन कर दिखा ।
मेरे नाम के आगे तू भी नफरत ही फीड कर दिखा ।
जो गलती मेंरे से अनजाने में हुई है ऐ मेरे प्यारे दोस्त ।
दोस्ती निभाने के लिए जानबूझ कर तुझे करने है दोस्त ।

वरना ए गम तुम्हें जिन्दगी यू ही भर सताएगा ।
 जब प्यार कि जगह, नफरत तू मुझसे पाएगा ।
अब मेरा दोस्त भी रोबोट है, हम अब भी वही पुराने दोस्त है ।
हम दोनों ही अब खुश है , क्यूकि हम इन्सान नही रोबोट है  ।

आप मानो या न मानो इन्सान थे तो ,रहकर क्या मिला हमें ।
दिलोदिमाग के चक्कर में दोस्ती भी कहाँ निभा पाते थे हम ।
रोबोट क्या बने हम अपने तो वारे न्यारे हो गए प्यार तो क्या  ?
नफरत को भी देखो कितनी ईमानदारी से निभा जाते है हम ।
                                नगीना शर्मा


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