हिंन्दी ने कहा सुन री बहना, दिल मेरा है गम से भरा हुआ।
मुसलमान तू हो गई कब से, कब हिन्दू ने मेरा वरण किया।
याद है हम टीफीन, बाँटकर कभी छीनकर खाया करते थे।
सावन में झूले डाल, डाल पर जी भर कर ,झूला करते थे ।
होली में सबको छोङ मैं, तुमको ही गुलाल लगाया करती थी।
ईद की सेवईया तेरी अम्मी ठूँस - ठूँस कर खिलाया करती थी।
ये जमीं बाँटे, गगन बाॅटे, खुदा को बाँटा इन गद्दारों ने।
खुदा को देखो बाँट दिया इसने मंदिर,मस्जिद, गुरुद्वारों में।
तुम गर साथ न होती बहना, तो औकात मेरी क्या रह जाती ।
साथ न तेरा होता तो बहना, मैं तो जीते जी ही मर जाती।
गर हम तुम नही रहे , उर्दू की नुख्ता , हिंन्दी की बिन्दी नही रही।
तो पूछो इन गद्भादारों से, ऐ भाषा में भाव कहाँ से ढूँढ कर लाएगे।
मैं कुँवारी रह जाउँगी ,तुम भी निकाह नहीं करना ।
इन जल्लादों पर बहना ,कभी एतवार नही करना ।
बाँटो और फिर राज करो ,यही बस इनका नारा है।
कुर्सी के खातिर हम दोनों को उर्दू ,हिंन्दी में बाँटा है।
सियाशत के लिए मेरी बहना सुन, इनकी सारी तैयारी है ।
ना इन्हें हम से कोइ मतलब है, न तुमसे ही कोई यारी है।
एक ही धरती है हमारी, जिसपर हम दोनों ने जन्म लिया।
एक ही निवाला इस धरती से एक ही जल का है पान किया।
बाँटो और फिर राज करो , यही बस इनका नारा है।
हम तुम गर साथ रहे दीख जाएगा इनको दिन में तारा।
कुर्सी के खातिर हिंदू -मुसलीम को बाँटने की तैयारी है।
लाशों की ढेर पर बैठ इनको तो अपनी सल्तनत चलानी है।
हम तुम गर साथ रहे ,सभी भाषाओं पर भारी है।
सियासत से गर हम दूर रहे ,सारी दुनियाँ हमारी है।
नगीना शर्मा
मुसलमान तू हो गई कब से, कब हिन्दू ने मेरा वरण किया।
याद है हम टीफीन, बाँटकर कभी छीनकर खाया करते थे।
सावन में झूले डाल, डाल पर जी भर कर ,झूला करते थे ।
होली में सबको छोङ मैं, तुमको ही गुलाल लगाया करती थी।
ईद की सेवईया तेरी अम्मी ठूँस - ठूँस कर खिलाया करती थी।
ये जमीं बाँटे, गगन बाॅटे, खुदा को बाँटा इन गद्दारों ने।
खुदा को देखो बाँट दिया इसने मंदिर,मस्जिद, गुरुद्वारों में।
तुम गर साथ न होती बहना, तो औकात मेरी क्या रह जाती ।
साथ न तेरा होता तो बहना, मैं तो जीते जी ही मर जाती।
गर हम तुम नही रहे , उर्दू की नुख्ता , हिंन्दी की बिन्दी नही रही।
तो पूछो इन गद्भादारों से, ऐ भाषा में भाव कहाँ से ढूँढ कर लाएगे।
मैं कुँवारी रह जाउँगी ,तुम भी निकाह नहीं करना ।
इन जल्लादों पर बहना ,कभी एतवार नही करना ।
बाँटो और फिर राज करो ,यही बस इनका नारा है।
कुर्सी के खातिर हम दोनों को उर्दू ,हिंन्दी में बाँटा है।
सियाशत के लिए मेरी बहना सुन, इनकी सारी तैयारी है ।
ना इन्हें हम से कोइ मतलब है, न तुमसे ही कोई यारी है।
एक ही धरती है हमारी, जिसपर हम दोनों ने जन्म लिया।
एक ही निवाला इस धरती से एक ही जल का है पान किया।
बाँटो और फिर राज करो , यही बस इनका नारा है।
हम तुम गर साथ रहे दीख जाएगा इनको दिन में तारा।
कुर्सी के खातिर हिंदू -मुसलीम को बाँटने की तैयारी है।
लाशों की ढेर पर बैठ इनको तो अपनी सल्तनत चलानी है।
हम तुम गर साथ रहे ,सभी भाषाओं पर भारी है।
सियासत से गर हम दूर रहे ,सारी दुनियाँ हमारी है।
नगीना शर्मा
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