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मूली/ Radish

मूली से हम सभी षरिचित है । यह  स्वादिष्ट एवम सुपाच्य होता है । इसे कच्चे भी खाते है । आज इसके उपजाने के तरीके देखेंगे । इसकी कई किस्मे है । कुछ किस्मे कभी भी उगाई जा सकती है । इनमे से कुछ मुलायम ,रेसेवाले लम्बे,नाटे जल्दी तैयार होनेवाले यानी बीस पच्चीस दिनो में तैयार हो जाते तो कुछ चालीस पैतालीस दिनो मे खाने लायक होते है । बीज लेने मे इसकी जानकरी रखे ।

 (1) मिट्टी ---- मूली हर प्रकार की मिट्टी मे होती है लेकिन बलूई दोमट मिट्टी इसके लिए अच्छी होती है । मूली के लिए मिट्टी मुलायम होनी चाहिए । यह जमीन के अंदर जाता है । खेत को तीन से चार बार जुताई करें ।
(2) मूली जाङे की सब्जी है । इसे दस से पन्दरह डिग्री सेटीग्रेड तापमान चाहिए ।जाङे मे मूली कोमल होती है । गर्मी मे रेशेदार और कङी होती है ।
(3) बुआई का समय---- गर्मा फसल --फरवरि से मई , बरसाती फसल -- जुलाई से अगस्त , मुख्य फसल--- अक्टूबर - नवम्वर ।
(4) खाद -- खेत मे गोबर खाद ,पत्ते की खाद के अतिरिक्त आप सुपर फास्फेट ,अमोनिया सल्फेट , पोटेसियम ,फास्फोरस और यूरिया भी दे सकते है । खाद को खेत मे बुआई से पहले मिला कर जुताई करे ।
(5)---- सिचाई - मूली की मिट्टी नम रखे ।आवश्पकता अनुसार आठ या नौ दिनो पर सिचाई करे ।
(6) देखभाल--- मूली का दुश्मन एफिड है । बचाव के लिए निकोटीन सलफेट का छिङकाव करें । कोलीडोल या मैलोनिन्यन का प्रयोग करे ।
                                                              नगीना शर्मा
 

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