कुछ लिखूंगी कुछ मिटाऊंगी,कुछ खाली पन्ने छोड़ूंगी।
फ़ुर्सत मिले तो आ जाना,आकर तुम भी कुछ लिख जाना।
मैं जैसे सोचा करती थी, क्या तुम भी सोचा करते थे ?
खाली पन्नों को भर जाना, फुर्सत मिले लिख जाना।
जब सपने देखा करते थे, क्या मैं उसमे आया करती थी ?
आंखों के खुलते मेरी तरह, क्या तुम भी रोया करते थे?
ए रास्ते वो पगडंडी क्या, तुमको भी डराया करते थे ?
कभी साथ चले थे हम दोनों, ऐ याद दिलाया करते थे।
मेरे सारे खत जो तुमने, उस तस्वीर के साथ जलाए थे
उसकी उड़ती राख, अब भी तेरे पैरों के नीचे आती है ?
तेरी यादों में लिपटी यादें, मुझे मधुबन की याद दिलाती है
बीते उन लम्हों कि यादें, बस याद तुम्हारी लाती है।
हकीकत लिखकर मैं जाती हूं, सपने तुम लिखकर आ जाना।
फ़ुरसत मिले तो आ जाना, आकर तुम भी कुछ लिख जाना।
मैं सबकुछ छोड़कर जाती हूं, तुम सबकुछ लेकर आ जाना।
मैं आंखें लेकर जाती हूं, तुम सपनो को संजो कर ले आना ।
छोड़ो मेरे सवालों को, अपने ज़बाब ही तुम लिख जाना।
मैं खाली पन्ने छोड़ूगी, फुर्सत हो तो आकर लिख जाना।
फ़ुर्सत मिले तो आ जाना,आकर तुम भी कुछ लिख जाना।
मैं जैसे सोचा करती थी, क्या तुम भी सोचा करते थे ?
खाली पन्नों को भर जाना, फुर्सत मिले लिख जाना।
जब सपने देखा करते थे, क्या मैं उसमे आया करती थी ?
आंखों के खुलते मेरी तरह, क्या तुम भी रोया करते थे?
ए रास्ते वो पगडंडी क्या, तुमको भी डराया करते थे ?
कभी साथ चले थे हम दोनों, ऐ याद दिलाया करते थे।
मेरे सारे खत जो तुमने, उस तस्वीर के साथ जलाए थे
उसकी उड़ती राख, अब भी तेरे पैरों के नीचे आती है ?
तेरी यादों में लिपटी यादें, मुझे मधुबन की याद दिलाती है
बीते उन लम्हों कि यादें, बस याद तुम्हारी लाती है।
हकीकत लिखकर मैं जाती हूं, सपने तुम लिखकर आ जाना।
फ़ुरसत मिले तो आ जाना, आकर तुम भी कुछ लिख जाना।
मैं सबकुछ छोड़कर जाती हूं, तुम सबकुछ लेकर आ जाना।
मैं आंखें लेकर जाती हूं, तुम सपनो को संजो कर ले आना ।
छोड़ो मेरे सवालों को, अपने ज़बाब ही तुम लिख जाना।
मैं खाली पन्ने छोड़ूगी, फुर्सत हो तो आकर लिख जाना।
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