हर रंग की अपनी बोली होती है।
काली ,पीली,नीली होती है ।
इक रंग में मिल जाते हैं सब।
होली वाकई होली होली होती है।
मुझे गांव की होली लौटा दो।
मीट्टी, गोबर ,कीचड़ ही ला दो।
कोई पुआ, गुजिया बनबा दो।
कोई होलिका दहन तो करवा दो।
अच्छाई को बचानी हो तो बुराई हटाओ।
रावण को जलानी हो तो राम बुलाओ।
बहुत जला ली तूने रावण को बार-बार।
इकबार अपने अंदर के रावण तो जलाओ।
काली ,पीली,नीली होती है ।
इक रंग में मिल जाते हैं सब।
होली वाकई होली होली होती है।
मुझे गांव की होली लौटा दो।
मीट्टी, गोबर ,कीचड़ ही ला दो।
कोई पुआ, गुजिया बनबा दो।
कोई होलिका दहन तो करवा दो।
अच्छाई को बचानी हो तो बुराई हटाओ।
रावण को जलानी हो तो राम बुलाओ।
बहुत जला ली तूने रावण को बार-बार।
इकबार अपने अंदर के रावण तो जलाओ।
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