नई उमर की नई फसल को फलने दो।
हवाएं जहरीली न करो इन्हें बढ़ने दो।
सोचो इनका भविष्य फिर कैसा होगा ।
न जीने को हवा, न पीने को जल होगा।
है समय अभी भी संभल जाओ तुम ।
बच्चों में धर्माधता मत फैलाओ तुम ।
कोई धर्म बताओ ऐसा, जो मानवता नहीं सिखाता हो।
सब एक ही है इस धरती पर, यह पाठ न हमें पढ़ाता हो ।
भाग २
इक बार अपनी तस्वीर को तुम गौर से देखो।
खुद से मुहब्बत न तुमको हो जाए तो कहना ।
मुहब्बत हो गई तुमसे तो इसमें मेरी खता क्या है।
मेरी मुहब्बत को जरा तुम मेरी नज़र से देखो ।
आईना जो कहता है भला इस पर खपा क्यों हो।
सच कहेगा ही उसे सच, कहने की जो आदत है ।
सड़क पर लूटती अबलाओं को तुम गौर से देखो।
इनमें अपनी बहन, बेटियां नजर नहीं आए तो कहना।
आपके चरणों में मैंने अपना अभिमान जो रखा था ।
वचन ना देना है न दें मगर मेरा स्वाभिमान तो रखना।
मेरी भक्ति का देखो हुआ कुछ असर इतना।
भगवान खुद से घर मेरे, तसरीफ लें आए।
नज़रें बिछा दूं या कि कदम चूम लूं इनके ।
फ़रिश्ते आ गए जबसे, समझ में कुछ नहीं आता।
हवाएं जहरीली न करो इन्हें बढ़ने दो।
सोचो इनका भविष्य फिर कैसा होगा ।
न जीने को हवा, न पीने को जल होगा।
है समय अभी भी संभल जाओ तुम ।
बच्चों में धर्माधता मत फैलाओ तुम ।
कोई धर्म बताओ ऐसा, जो मानवता नहीं सिखाता हो।
सब एक ही है इस धरती पर, यह पाठ न हमें पढ़ाता हो ।
भाग २
इक बार अपनी तस्वीर को तुम गौर से देखो।
खुद से मुहब्बत न तुमको हो जाए तो कहना ।
मुहब्बत हो गई तुमसे तो इसमें मेरी खता क्या है।
मेरी मुहब्बत को जरा तुम मेरी नज़र से देखो ।
आईना जो कहता है भला इस पर खपा क्यों हो।
सच कहेगा ही उसे सच, कहने की जो आदत है ।
सड़क पर लूटती अबलाओं को तुम गौर से देखो।
इनमें अपनी बहन, बेटियां नजर नहीं आए तो कहना।
आपके चरणों में मैंने अपना अभिमान जो रखा था ।
वचन ना देना है न दें मगर मेरा स्वाभिमान तो रखना।
मेरी भक्ति का देखो हुआ कुछ असर इतना।
भगवान खुद से घर मेरे, तसरीफ लें आए।
नज़रें बिछा दूं या कि कदम चूम लूं इनके ।
फ़रिश्ते आ गए जबसे, समझ में कुछ नहीं आता।
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