रैगींग शब्द सुनने में थोड़ा अजीब सा है। इस पर पाबंदी भी है ,लेकिन मेरी माने तो बहुत जरूरी है खासकर मेरे जैसों के लिए, जिसे बोलने में जुबान लड़खड़ाती हो।
इन्टरवियू में सफल होने के बाद मेडिकल होनी थी। मेडिकल भी क्या विकर्षक में लगड़ा ,लूला,एक आंखों ही चलते हैं। सेल हमारे देश का गौरव रहा है सदा से यहां के अस्पताल भी बहुत बड़े हैं । मेडिकल में कभी आंख,कभी कान, कभी यह कभी वह टेस्ट होता रहा । सबेरे दस बजे से शाम होने को आई। मेरे समझ में यह नहीं आई इतने टेस्ट की जरूरत क्या थी,लम्बाई, वजन से क्या लेना कोई सेना में तो ले नहीं रहे हो,विकर्षक मोटा हो,पतला ,नाटा या लम्बा क्या फर्क पड़ता । एक फारमेंलटी थी जो उन्हें पूरे करने थे और हमें करवाने थे। याद है जब वजन वाले ने कहा था लम्बाई के अनुसार वजन पैंतालीस होनी चाहिए और आप बयालिस किलों हो, अंडर वेट लिख दूं। यह कहते हुए मुस्कराहट देखी थी मैंने उसके चेहरे पर। मैं अपने स्वाभावानुसार चुप रही ।जब बाहर आकर बताया तो पतिदेव का कहना था आपको रिक्यूएस्ट करने चाहिए, कुछ कहा क्यों नहीं। मुझे डांटने के बाद वो अंदर गए जाकर पूछा तो पता चला उसने पैंतालिस लिख दिया था। उसने कहा मैंने लिख दिया है अब खिला-खिला पिलाकर वजन बढाईए। अब आया असल टेस्ट यानि महिलाओं की असल परिक्षा कहीं कोई मां तो बननेवाली नहीं ? जी हां इससे हरेक आॅरगेनाईजेशन को फ्लर्ट पड़ता है उन्हें तीन महीने के मेटरनीटी लीव जो देने पड़ते हैं। हममें से दो इस टेस्ट में फेल कर गई उन्हें डिलेवरी के बाद ज्वाइन करने को कहा गया ।
स्कूल में ज्वाइन करने मैं पतिदेव के साथ पहुंची। वहां का दृश्य देखकर लगा छुट्टी हो चूंकि थी,सारे बच्चें मैदान में धमा-चौकड़ी चौंकती कर रहे थे। आॅफिस में हेडमिस्ट्रेस थी, देखकर लगता नहीं कोई इन्सान इतना सुन्दर कैसे हो सकता? थोड़ी सी बातें मेरे पतिदेव ने की मुझे उनकी बातों से लग गया ,दिल की भी बहुत अच्छी है। उन्होंने कहा आज गर्मी की छुट्टी हो गई । आप पन्द्रह जून से आईए साथ ही उन्होंने इन्चार्ज को बुलाकर कहा ,लकड़ाजी आप लोगों की पार्टी में ले जाए इन्हें और सबसे परिचय करवा दें। मुझे और मेरे पतिदेव को सरकार रूम में ले जाया गया। प्लेट में समोसा और जिलेबी खाने को दिए गए।
मेरी रैगींग की तैयारी यही से हो गई, टेबल पर लेडिज जेन्टस मिलाकर पीस तीस रहे होंगे । उन लोगों ने सैकड़ों सवाल किए और ज़बाब मेरे पतिदेव देते रहें। मुझे याद है मैनें अपने नाम के सिवा कुछ नहीं बोला था। मुझे इतनी भीड़ देखकर घबराहट हो रही थी।हां मेरे पतिदेव को बहुत आनंन्द आ रहा था बेचारे फैक्ट्री में काम करते थे, किसी महिला का दर्शन कहां होता था। आज आनन्द में थे इतनी शिक्षिकाओं को देखकर। मैं इन्हें सबसे हसं- हसन कर बातें करते देखकर जल भून रहीं थीं। सच कहूं लेडिज नहीं होती तो शायद मुझे उतना बुरा नहीं लगता । जो भी हो शिक्षक बड़े समझदार प्राणी होते हैं ,मेरी चुप्पी से लोगों ने भांप लिया इनकी जम कर रैगींग करनी होगी।
वहां से हम दोनों पति - पत्नी घर आ गए। मन में बड़ा शकून था एक महीना स्कूल बंद है। मन में गुस्सा तो था पतिदेव पर वहां इन्तजार जो किए थे इसका लेकिन मैं कुछ कह न सकी लड़ न सकी लड़ने के लिए मुहं खोलने पड़ते। घर आकर मुहंतोड़ फुलाकर बैठी रही खाना भी नहीं खाई चुपचाप बेड पर लेट गई। पुरुष लोग मन की बात समझने में बेबकूफ होते हैं। वो आज तक नहीं समझ पाए मैं गुस्से में थी ,उन्हें लगा मैं तक गई हूं साथ में समोसा खाई हूं इसी से नहीं खा रहीं।
इन्टरवियू में सफल होने के बाद मेडिकल होनी थी। मेडिकल भी क्या विकर्षक में लगड़ा ,लूला,एक आंखों ही चलते हैं। सेल हमारे देश का गौरव रहा है सदा से यहां के अस्पताल भी बहुत बड़े हैं । मेडिकल में कभी आंख,कभी कान, कभी यह कभी वह टेस्ट होता रहा । सबेरे दस बजे से शाम होने को आई। मेरे समझ में यह नहीं आई इतने टेस्ट की जरूरत क्या थी,लम्बाई, वजन से क्या लेना कोई सेना में तो ले नहीं रहे हो,विकर्षक मोटा हो,पतला ,नाटा या लम्बा क्या फर्क पड़ता । एक फारमेंलटी थी जो उन्हें पूरे करने थे और हमें करवाने थे। याद है जब वजन वाले ने कहा था लम्बाई के अनुसार वजन पैंतालीस होनी चाहिए और आप बयालिस किलों हो, अंडर वेट लिख दूं। यह कहते हुए मुस्कराहट देखी थी मैंने उसके चेहरे पर। मैं अपने स्वाभावानुसार चुप रही ।जब बाहर आकर बताया तो पतिदेव का कहना था आपको रिक्यूएस्ट करने चाहिए, कुछ कहा क्यों नहीं। मुझे डांटने के बाद वो अंदर गए जाकर पूछा तो पता चला उसने पैंतालिस लिख दिया था। उसने कहा मैंने लिख दिया है अब खिला-खिला पिलाकर वजन बढाईए। अब आया असल टेस्ट यानि महिलाओं की असल परिक्षा कहीं कोई मां तो बननेवाली नहीं ? जी हां इससे हरेक आॅरगेनाईजेशन को फ्लर्ट पड़ता है उन्हें तीन महीने के मेटरनीटी लीव जो देने पड़ते हैं। हममें से दो इस टेस्ट में फेल कर गई उन्हें डिलेवरी के बाद ज्वाइन करने को कहा गया ।
स्कूल में ज्वाइन करने मैं पतिदेव के साथ पहुंची। वहां का दृश्य देखकर लगा छुट्टी हो चूंकि थी,सारे बच्चें मैदान में धमा-चौकड़ी चौंकती कर रहे थे। आॅफिस में हेडमिस्ट्रेस थी, देखकर लगता नहीं कोई इन्सान इतना सुन्दर कैसे हो सकता? थोड़ी सी बातें मेरे पतिदेव ने की मुझे उनकी बातों से लग गया ,दिल की भी बहुत अच्छी है। उन्होंने कहा आज गर्मी की छुट्टी हो गई । आप पन्द्रह जून से आईए साथ ही उन्होंने इन्चार्ज को बुलाकर कहा ,लकड़ाजी आप लोगों की पार्टी में ले जाए इन्हें और सबसे परिचय करवा दें। मुझे और मेरे पतिदेव को सरकार रूम में ले जाया गया। प्लेट में समोसा और जिलेबी खाने को दिए गए।
मेरी रैगींग की तैयारी यही से हो गई, टेबल पर लेडिज जेन्टस मिलाकर पीस तीस रहे होंगे । उन लोगों ने सैकड़ों सवाल किए और ज़बाब मेरे पतिदेव देते रहें। मुझे याद है मैनें अपने नाम के सिवा कुछ नहीं बोला था। मुझे इतनी भीड़ देखकर घबराहट हो रही थी।हां मेरे पतिदेव को बहुत आनंन्द आ रहा था बेचारे फैक्ट्री में काम करते थे, किसी महिला का दर्शन कहां होता था। आज आनन्द में थे इतनी शिक्षिकाओं को देखकर। मैं इन्हें सबसे हसं- हसन कर बातें करते देखकर जल भून रहीं थीं। सच कहूं लेडिज नहीं होती तो शायद मुझे उतना बुरा नहीं लगता । जो भी हो शिक्षक बड़े समझदार प्राणी होते हैं ,मेरी चुप्पी से लोगों ने भांप लिया इनकी जम कर रैगींग करनी होगी।
वहां से हम दोनों पति - पत्नी घर आ गए। मन में बड़ा शकून था एक महीना स्कूल बंद है। मन में गुस्सा तो था पतिदेव पर वहां इन्तजार जो किए थे इसका लेकिन मैं कुछ कह न सकी लड़ न सकी लड़ने के लिए मुहं खोलने पड़ते। घर आकर मुहंतोड़ फुलाकर बैठी रही खाना भी नहीं खाई चुपचाप बेड पर लेट गई। पुरुष लोग मन की बात समझने में बेबकूफ होते हैं। वो आज तक नहीं समझ पाए मैं गुस्से में थी ,उन्हें लगा मैं तक गई हूं साथ में समोसा खाई हूं इसी से नहीं खा रहीं।
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