कश्तियां डूबने के डर से किनारे पर बैठे हो क्यों ?
कश्तियां डूबती नहीं कभी ढेरों पानी से ।
यह डूबती है फक्त पानी के अंदर आने से।
भाग्य के भरोसे नौका पानी में छोड़ी नहीं जाती।
जीगर के साथ दम होनी चाहिए पतवार वालों में।
दीये में तेल कम न था, ना बाती की ही थी कमी।
न हवा तेज थी, न कोई तूफान ही आया था ।
बताओ दोष दूं किसको, बुझी फिर भी दीया मेरी।
दोस्ती और प्यार दोनों एक जैसे ।
अजीब गणित है इनका कोई फर्क नहीं है।
एक ही सूत्र इनमें काम आते हैं ।
दो में से एक निकाल लो शून्य हाथ आते हैं।
जिस जगह डूबी कश्ती हमारी, उस जगह कोई न था ।
ऐ खुदा तू ही बता तू था, वहां या तू भी न था ।
नाम लेकर भी पुकारा, फिर भी तू आया न था ।
जानता तो था तू ,मेरा तेरे शिवा कोई न था ।
कश्तियां डूबती नहीं कभी ढेरों पानी से ।
यह डूबती है फक्त पानी के अंदर आने से।
भाग्य के भरोसे नौका पानी में छोड़ी नहीं जाती।
जीगर के साथ दम होनी चाहिए पतवार वालों में।
दीये में तेल कम न था, ना बाती की ही थी कमी।
न हवा तेज थी, न कोई तूफान ही आया था ।
बताओ दोष दूं किसको, बुझी फिर भी दीया मेरी।
दोस्ती और प्यार दोनों एक जैसे ।
अजीब गणित है इनका कोई फर्क नहीं है।
एक ही सूत्र इनमें काम आते हैं ।
दो में से एक निकाल लो शून्य हाथ आते हैं।
जिस जगह डूबी कश्ती हमारी, उस जगह कोई न था ।
ऐ खुदा तू ही बता तू था, वहां या तू भी न था ।
नाम लेकर भी पुकारा, फिर भी तू आया न था ।
जानता तो था तू ,मेरा तेरे शिवा कोई न था ।
0 Comments